रिश्वत मांगने के मामले में मेडिकल ऑफिसर व क्लर्क पर गिरी गाज

नोएडा, नगर सवाददाता: स्वास्थ्य विभाग में क्लीनिक पंजीकरण के नाम पर पांच लाख रिश्वत मांगने के आरोपितों पर आखिरकार गाज गिर गई है। सीएमओ ने दोनों आरोपितों से चार्ज छीनकर दूसरे अधिकारी को सौंप दिया है, हालांकि चार्ज हटने के संबंध में प्रकरण में आरोपित महिला लिपिक ने स्वेच्छा से चार्ज छोड़ने की बात कही है। दरअसल, सरिता विहार, नई दिल्ली निवासी डॉ. मेजर डीके बोस ने ग्रेटर नोएडा वेस्ट में क्लीनिक चलाने की अनुमति के लिए सीएमओ कार्यालय पर अपने सहायक को भेजा था।

आरोप था कि मेडिकल आफिसर डॉ. चंदन सोनी व वरिष्ठ लिपिक अनुराधा समेत चार कर्मचारियों ने उनसे क्लीनिक पंजीकरण के नाम पर पांच लाख रुपये रिश्वत मांगी। असहमति जताने पर पंजीकरण करने से इंकार कर दिया। जिसकी शिकायत पोर्टल पर प्रधानमंत्री व मुख्यमंत्री से शिकायत की गई। एडीएम प्रशासन दिवाकर सिंह ने कर्मचारियों को सूरजपुर स्थित उनके कार्यालय में प्रस्तुत होने के निर्देश दे दिए थे, हालांकि शिकायतकर्ता डॉक्टर के पेश न होने से मामले की जांच ठंडे बस्ते में चली गई है।

स्वास्थ्य विभाग के अनुसार, शिकायतकर्ता ने दूसरा पत्र भेजकर पहली शिकायत को गलत बताया है। विभागीय अफसरों से जब वह पत्र दिखाने को कहा तो कोई तैयार नहीं है। पूरे मामले का पटाक्षेप हुआ है या नहीं, विभाग के किसी अफसर ने स्पष्ट नहीं किया है। हालांकि अब कर्मियों से चार्ज हटने के कारण पूरा मामला दोबारा गरमा गया है। सीएमओ डॉ. दीपक ओहरी ने दोनों अधिकारियों से पंजीकरण का चार्ज छीनकर डॉ. जैसलाल को सौंप दिया है। डॉ. जैसलाल की कुछ दिनों पहले ही नोएडा में तैनाती हुई है। सीएमओ डॉ. दीपक ओहरी ने बताया कि दोनों से चार्ज हटा दिया गया है।

एक अधिकारी के मुताबिक डॉ. जैसलाल को महामारी के बीच चिकित्सकों के अभाव को देखते हुए कोविड अस्पताल में ड्यूटी के लिए भेजा गया था। सीएमओ ने उनकी तैनाती कोविड अस्पताल में करने के बजाय उन्हें पंजीकरण का चार्ज सौंप दिया है। एक शीर्ष अधिकारी ने इस पर आपत्ति जताई है।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here