सहारनपुर, नगर संवाददाता: त्रिस्तरीय पंचायत चुनावों के जिले में कांग्रेस को जोर का झटका हल्के से लग सकता है। इसके लिए कांग्रेस के कई दिग्गज किसान आंदोलन के बाद उत्तर प्रदेश में तेजी से बदलते सियासी समीकरणों पर मथंन करने के साथ हाथ का साथ छोड़कर लखनऊ में साईकिल की सवारी करने का तानाबाना बुनने में लगे है। चर्चा यह भी है कि एक कांग्रेसी विधायक की पार्टी के प्रांतीय स्तर के एक पदाधिकारी से काफी खींचतान चल रही है। माना जा रहा है कि अगर इस प्रकरण में सुलह नहंीं हुई तो यह कांग्रेसी विधयक अपना चुनाव बसपा के टिकट पर लड़ सकते हैं। सियायी गलियारों में खासी चर्चा है कि कांग्रेस विधायक एवं प्रांतीय पार्टी नेता के बीच विधानसभा चुनाव से पूर्व नैनिताल स्थित एक होटल का लेनन-देन नइस राजनैतिक मनमुटाव का प्रमुख कारण बना हुआ है। उधर चर्चा यह है कि जिले की कांग्रेस पर एक छत्र राज करने वाला दिग्गज नेता भी 26 फरवरी को लखनऊ में समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव के साथ फिर गोपनीय वार्ता करने वाले हैं। सूत्रों का कहना है कि कांग्रेस के उक्त नेता सपा में शामिल होकर पार्टी फायर ब्रांड नेता एवं प्रदेश के पूर्व काबिना मंत्री अ आजम खान की भरपाई करने के आश्वासन सपा नेतृत्व को देने में लगा है। उधर इस खबर के हवा में तैरने के बाद स्थानीय स्थानीय सपा नेताओं ने एक दिन पूर्व यानी के 25 फरवरी को लखनऊ पहुंचकर पार्टी सुप्रीमो अखिलेश यादव के समक्ष अपना विरोध दर्ज कर दिया है, लेकिन बाद भी जिले का कांग्रेस कहें जोन वाले नेता जी साईकिल पर सवार होने की हर संभव कोशिश करने में लगे हैं। सूत्र बतातें हैं कि नेता जी के आशीर्वाद से कांग्रेस के टिक पर विधानसभा का मुंह देखने वाले एक विधायक नैनिताल होटल प्रकरण के चलते कांग्रेस को अलविदा कर हाथी की सवारी करने की गोटियां सेट कने में लगे हुए हैं। सियासी हल्कों में पिछले काफी समय से यह चर्चा आम है कि मौजूदा समय में जिले के अन्दर कांग्रेस संगठन सिर्फ एक राजनैतिक परिवार की बपौती बनकर रह गया है, जिसके कारण स्वतंत्रता संग्राम सेनानी परिवारों के उत्तराधिकारी, निष्ठावान कार्यकर्ता एवं पूर्व पदाधिकारी आज कांग्रेस से किनारा कर चुके हैं, ऐसे लोगों का सीधा कथन है कि वर्तमान समय में कांग्रेस संगठन में सिर्फ कब्जाधारी सियासी परिवार के साथ कांग्रेस का हश्र-ए-पतन देख रहे हैं। गौरतलब यह भी है कि कांग्रेस का राष्ट्री नेतृत्व में कर्मठ, निष्ठावान कार्यकर्ताओं के स्थान पर अवसरवादी नेताओं को ही तरजीह देने में लगा है, ऐसे में अगर त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव के बाद मौका परस्त ये नेता अगर अवसर पाकर साइकिल पर सवार होते हैं तो कांग्रेस का हाथ जिले में फिर खाली हो जाएगा।
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