नई दिल्ली, नगर संवाददाता: दिल्ली हाईकोर्ट ने तिहाड़ जेल में बंद एक विचाराधीन बंदी की चाकू घोंपकर की गई हत्या पर आश्चर्य जताते हुए बुधवार को कहा कि ऐसी चीजें सिर्फ कल्पना (फिक्शन) में देखी गई थीं। बेटे की हिरासत में हुई मौत पर पांच करोड़ रुपये की मुआवजा राशि का अनुरोध करने वाले मृतक के पिता की याचिका पर सुनवाई करते हुए जस्टिस प्रतिभा एम. सिंह ने कहा कि मुझे नहीं पता कि ऐसा कैसे हो सकता है। यह आश्चर्यजनक है। हम ऐसी चीजें सिर्फ फिक्शन में देखते हैं।
हाईकोर्ट ने जेल प्रशासन और दिल्ली पुलिस को निर्देश दिया कि वह स्टेटस रिपोर्ट दायर करके बताए कि मामले में एफआईआर दर्ज हुई है या नहीं, अगर हुई है तो जांच कहां तक पहुंची है। जेल प्रशासन की ओर से दिल्ली सरकार के अतिरिक्त स्थायी वकील संजय घोष और वकील नमन जैन पेश हुए थे।
कोर्ट ने कहा कि रिपोर्ट में यह सूचना भी होनी चाहिए कि बंदी को जिस कोठरी में रखा गया था उसकी सीसीटीवी का फुटेज संरक्षित रखा गया है या नहीं, अगर रखा गया है तो किस स्वरूप में। अदालत ने यह भी पूछा कि उसके मामले में अभी तक आरोपपत्र दाखिल हुआ है या नहीं, अगर हुआ है तो निचली अदालत में मुकदमा किस स्थिति में है।
कोर्ट ने यह भी कहा कि मृतक बंदी के पिता अली शेर को जांच और मुकदमे की सुनवाई के प्रत्येक कदम से अवगत कराया जाए। इन निर्देशों के साथ ही अदालत ने मामले में अगली सुनवाई के लिए पांच मार्च की तारीख तय की है। सुनवाई के दौरान संजय घोष ने कहा कि यह चिंता का विषय है कि राजधानी में ऐसा कुछ हो सकता है। उन्होंने कहा कि बंदी के शरीर पर नौ जख्म थे।
वकीलों अनवर ए. खान और विशाल राज सहजपाल के माध्यम से दी गई याचिका में अली शेर ने कहा है कि उनका बेटा दिलशेर आजाद सितंबर, 2019 से तिहाड़ जेल में विचाराधीन कैदी था। याचिका के अनुसार,, 30 नवंबर 2020 को उन्हें पुलिस का फोन आया कि उनके बेटे की मौत हो गई है, लेकिन जेल पहुंचने पर वहां के प्रशासन ने उनके साथ सहयोग नहीं किया और ना ही दिलशेर की मौत की सही वजह बताई। अली शेर ने जब वकील को फोन किया तो उन्हें पता चला कि उनके बेटे की चाकू घोंपकर हत्या की गई है। याचिका के अनुसार, अली शेर को उनके बेटे का शव एक दिसंबर, 2020 को मिला।