विलुप्त हो रही उर्दू भाषा को बचाने की जरूरत

अलीगढ़, नगर संवाददाता: पहले कोई दौर हुआ करता था जब क्या सरकारी हुक्मरान हों क्या फिर बड़े जमीदार हों, ज्यादातर लोग उर्दू भाषा को बोलने में इस्तेमाल किया करते थे, सरकारी आंकड़ों और विशेषज्ञों की बात मानें तो आज भी कुछ शब्द ऐसे हैं जिनको लोग आज भी उर्दू में ही बोलते हैं लेकिन उनको अहसास तक नहीं हो पाता कि उन्होंने उर्दू भाषा प्रयोग की है। जहां एक ओर धीरे-धीरे उर्दू भाषा लोगों की जुबान से गायब होती नजर आ रही है, वहीं दूसरी ओर कौम के रहवरों के द्वारा उर्दू भाषा को अपने जिगर ने सहेज के रखने की जिम्मेदारी ले रखी हैं। कौम के रहबरों की जानिब से करीबन 20 सालों से इंडियन उर्दू जर्नलिस्ट एशोसिएशन के बैनर तले आलीशान कार्यक्रम किया जाता है, जिससे उर्दू भाषा को जिंदा रखा जा सके और उर्दू जैसी मीठी भाषा को लेकर आवाम तक इसको जिंदा रखने का पैगाम पहुंच सके। इसके लिए उर्दू के कार्यक्रम आयोजित किये जाते हैं। इसी के अन्तर्गत उर्दू कनबीनर मुबीन खां की अध्यक्षता में अलीगढ़ की नुमाइश में स्थित कृष्णांजली में इंडियन उर्दू जर्नलिस्ट एसोसिएशन के बैनर तले भव्य कार्यक्रम ‘महफिले मुशायरा’ आयोजित किया गया। जिसमें ‘जीना तुमको दिखला दें जो ऐसा कोई पल ढूंढो’, सर को पकड़कर बैठे क्यों हो, मुश्किल का कोई हल ढूंढों, आदि उर्दू मुशायरों की चन्द लाइनों से लोगों का इस्क्तबाल किया गया। कार्यक्रम का संचालन मुशर्रफ हुसैन म हर ने किया। मुख्यअतिथि यासिर अली रहे। शताब खान अवार्ड 2021 से फकरुद्दीन अहमद को नवाजा गया। इस मौके पर मुशीर अहमद खां, इलियास नवेद गुन्नौरी, बाबर इलियास, डॉक्टर दौलत राम शर्मा, मौ. सगीर, अतीक सेहर, जावेद वारसी, शबाब अलीगढ़ी, शाकिर अलीगढ़ी, वफा नवी, मंसूर अदब, कुंवर रियाज अहमद मौजूद रहे।

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