नई दिल्ली, नगर संवाददाता: महामारी को लेकर भारत द्वारा उठाए गए त्वरित कदमों की वजह से कोविड-19 के मामले 37 लाख तक सीमित रहे और एक लाख से अधिक लोगों का जीवन बचाया जा सका। यह जानकारी आर्थिक सर्वेक्षण 2020-21 में दी गई है। संसद में पेश बजट पूर्व दस्तावेज में शुक्रवार को बताया गया कि संभावित इलाज, टीका के अभाव में भारत ने स्थिति का मूल्यांकन किया और रणनीतिक रूप से उचित कदम उठाया। बीमारी के बारे में वैज्ञानिक समझ के अभाव, वायरस के प्रसार के प्रारूप पर पर्याप्त आंकड़े के अभाव के कारण विश्वसनीय और समय रहते विभिन्न नीतिगत विकल्पों पर पड़ने वाले संभावित प्रभाव को समझने में दिक्कत आई। इसमें कहा गया कि आकलन लगाया गया था कि मई 2020 के अंत तक भारत में 30 करोड़ मामले होंगे और कई हजार लोगों की मौत होगी। भारत ने 25 मार्च से 31 मार्च 2020 तक कड़े लॉकडाउन लागू किए ताकि वायरस के प्रसार को रोका जा सके। इसमें बताया गया, ‘‘देशों की आबादी, आबादी घनत्व, जनसांख्यिकीय, की गई जांच और स्वास्थ्य ढांचे के आधार पर हमने आकलन लगाए और पता चला कि भारत में कोविड-19 के मामले 37 लाख तक सीमित रहे और हमने एक लाख से अधिक लोगों का जीवन बचाया।’’ इसमें बताया गया कि 40 दिनों की लॉकडाउन अवधि में आवश्यक चिकित्सकीय एवं पैरा मेडिकल ढांचे को बढ़ाया गया ताकि स्थिति पर सक्रिय रूप से नजर रखी जा सके, जांच का दायरा बढ़ाया जा सके और लोगों को सामाजिक दूरी तथा मास्क के बारे में जागरूक किया जा सके।
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