बादशाहपुर, नगर संवाददाता: मंगलवार को किसान आंदोलन की आड़ में राष्ट्रीय राजधानी में कुछ असामाजिक तत्वों ने जिस घटना को अंजाम दिया, उसने सभी को झकझोर कर रख दिया। पवित्रता के प्रतीक लाल किला पर कब्जा कर संगठन का झंडा फहराना और सुरक्षाकर्मियों पर जानलेवा हमला करने की घटना से सभी वर्ग स्तब्ध हैं। छात्र से लेकर व्यापारी तक व किसान से लेकर कारोबारी तक दिल्ली की घटना से अचंभित हैं। नेता हो या महिला सभी इस घटना की न केवल निदा कर रहे हैं बल्कि देश के लिए शर्मसार करने वाली अशोभनीय स्थिति बता रहे हैं। जहां 70 वर्षों से 26 जनवरी को देशभर में गरिमा व गौरवपूर्ण तरीके से मनाया जाता था। किसान आंदोलन की आड़ में 26 जनवरी को दिल्ली में अराजक तत्वों ने दर्दनाक घटना को अंजाम दिया। यह इतिहास में सबसे शर्मनाक घटना के रूप में दर्ज होगी। 26 जनवरी को हम सब देश की संप्रभुता और ताकत का प्रदर्शन करने के लिए पूरे हर्षोल्लास के साथ मनाते हैं। इस दिन लाल किले जैसी ऐतिहासिक धरोहर पर कुछ अराजक तत्वों ने शर्मनाक घटना को अंजाम दिया, जो बेहद निदनीय है।
– बालकिशन, भांगरोला कृषि कानूनों में के विरोध में आंदोलन तो कई स्थानों पर चल रहे हैं। अपनी मांग के लिए आंदोलन करना सब का हक भी है। पर किसान आंदोलन की आड़ में दिल्ली में जो कृत्य किया गया, वह किसान आंदोलन नहीं बल्कि देश की अस्मिता के साथ खिलवाड़ है।
– रघुवीर, झुंड सराय किसान आंदोलन के नाम पर इसमें शामिल कई नेताओं की मंशा पहले दिन से ही ठीक नजर नहीं आ रही थी। सरकार कृषि कानूनों में संशोधन करने की बात कर रही है। उसके बाद भी गणतंत्र दिवस जैसे महान दिवस पर ट्रैक्टर रैली का कोई औचित्य ही नहीं बनता था।
– सुनील यादव, ढोरका किसान आंदोलन की आड़ में देश की अस्मिता से खिलवाड़ किया गया है। राष्ट्रीय सम्मान लाल किले पर लोकतंत्र के राष्ट्रीय पर्व पर राष्ट्रीय ध्वज का अपमान देश का अपमान है। 130 करोड़ भारतीयों का अपमान है। ऐसे राष्ट्र विरोधी तथाकथित किसान नेताओं के खिलाफ सख्त कार्रवाई करने की जरूरत है।
– सत्यप्रकाश जरावता, विधायक, पटौदी दिल्ली मैं ट्रैक्टर रैली के नाम पर तथाकथित किसानों ने जिस तरह का तांडव किया, उसकी जितनी निदा की जाए कम है। किसान आंदोलन के नाम पर किसानों को बदनाम कर कुछ लोग अपनी राजनीतिक रोटियां सेक रहे हैं। देश को बर्बाद करने वाली ताकतें इसमें शामिल हैं।
– दिनेश अग्रवाल, सेक्टर-14 किसान नेताओं की बात का मान रखते हुए सरकार ने ट्रैक्टर रैली की इजाजत दे दी। तथाकथित किसान नेता कृषि कानूनों को काला कानून बता रहे हैं। यह कानून काले नहीं है बल्कि इन कानूनों के नाम पर हो रही राजनीति काली है। दिल्ली में अराजकता फैलाने वालों पर कड़ी कार्रवाई होनी चाहिए।