नई दिल्ली, नगर संवाददाता: उच्चतम न्यायालय ने भाजपा के एक पार्षद की उस याचिका पर सुनवाई करने की बृहस्पतिवार को सहमति व्यक्त की जिसमें उन्होंने ग्रेटर मुंबई नगर निगम (एमसीजीएम) में उनकी पार्टी के दूसरी सबसे बड़ी पार्टी होने के नाते विपक्ष के नेता (एलओपी) का पद उन्हें दिये जाने का अनुरोध किया है, जो वर्तमान में कांग्रेस के एक सदस्य के पास है। नागरिक निकाय में, शिवसेना 84 निर्वाचित पार्षदों के साथ सबसे बड़ी पार्टी है और उसके बाद क्रमशः भाजपा और कांग्रेस हैं जिनके पास क्रमशः 82 और 31 सदस्य हैं। हालांकि, विपक्ष के नेता का पद कांग्रेस पार्टी के पास है क्योंकि भाजपा ने 2017 में शिवसेना के साथ उसके तत्कालीन गठबंधन के कारण इसे लेने से इनकार कर दिया था। स्थिति को ‘‘असंगत’’ पाते हुए प्रधान न्यायाधीश एस ए बोबडे और न्यायमूर्ति ए एस बोपन्ना और न्यायामूर्ति वी रामसुब्रमण्यम की पीठ ने भाजपा नेता प्रभाकर तुकाराम शिंदे की याचिका की सुनवाई करने पर सहमति जताई। शिंदे की याचिका को बम्बई उच्च न्यायालय ने खारिज कर दिया था।
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