टीकाकरण: दिल्ली में 53 फीसदी लोगों ‘इंतजार करो एवं देखो’ का रूख

नई दिल्ली, नगर संवाददाता: दिल्ली में पहले दिन महज 53 फीसदी लोगों के कोविड-19 का टीका लगवाने का मुख्य कारण लोगों द्वारा ‘‘इंतजार करो और देखो’ का रूख, संवाद की कमी और कोविन ऐप में खामियां थीं। यह बात रविवार को विशेषज्ञों ने कही। महामारी के खिलाफ दुनिया के सबसे बड़े टीकाकरण अभियान के पहले दिन दिल्ली में शनिवार को 4319 स्वास्थ्यकर्मियों को टीका लगाया गया जो पंजीकृत लोगों का महज 53 फीसदी हैं। राजीव गांधी सुपरस्पेशलिटी अस्पताल के चिकित्सा निदेशक बी. एल. शेरवाल ने कहा, ‘‘कुछ संशय है (टीके के बारे में)। साथ ही भारत में लोग महत्वपूर्ण मामलों में ‘इंतजार करो और देखो’ का रूख अपनाते हैं, चाहे वह नई कार खरीदनी हो या नया उपकरण। लोग फैसला लेने से पहले दूसरों के अनुभव देखते हैं।’’ अस्पताल में शनिवार को 45 लोगों को टीका लगा। उन्होंने कहा, ‘‘लोगों के बीच ज्यादा जागरूकता फैलाने की जरूरत है। शनिवार को टीके से जुड़ा कोई बड़ा दुष्प्रभाव देखने को नहीं मिला, जिससे दूसरे भी टीका लेने के लिए प्रोत्साहित होंगे।’’ कोविड-19 का टीका लेने के बाद एम्स के एक सुरक्षा गार्ड में एलर्जिक रिएक्शन देखने को मिला। उसे अस्पताल में चिकित्सकों की निगरानी में रखा गया है। यह जानकारी शनिवार को एक अधिकारी ने दी। अधिकारियों के मुताबिक, टीकाकरण के पहले दिन महानगर में लाल चकता, इंजेक्शन लगने के स्थान पर सूजन या बुखार जैसे छोटे रिएक्शन के कुल 51 मामले सामने आए। शेरवाल ने कहा कि 53 फीसदी लोगों का टीका लगवाना ‘‘सामान्य’’ माना जा सकता है। उन्होंने कहा, ‘‘चूंकि लोग स्वेच्छा से टीका लगवा रहे हैं, कई बार लोग महत्वपूर्ण कार्य की वजह से नहीं आ पाते हैं।’’ उन्होंने कहा, ‘‘पोलियो के उन्मूलन में 20 वर्षों तक काफी प्रयास करना पड़ा। इसका विरोध हुआ। कोविड-19 टीकाकरण अभियान में इसी तरह के प्रयास की जरूरत होगी।’’ लोक नायक जय प्रकाश नारायण अस्पताल के चिकित्सा निदेशक सुरेश कुमार ने कहा कि कोविन ऐप में खामियां भी लोगों के पहले दिन टीका नहीं लगवाने का कारण हो सकता है। कोविन , कोविड-19 टीका आपूर्ति पर निगरानी रखने का ऑनलाइन मंच है। एलएनजेपी अस्पताल में शनिवार को महज 32 लोगों को टीका लगाया जा सका। कुमार ने कहा, ‘‘हमारे अस्पताल में ऐप में कुछ समस्या आ गई। अभियान के दौरान हमें संख्या में बढ़ोतरी की उम्मीद है।’’ भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद् के पूर्व महानिदेशक एन. के. गांगुली ने कहा कि टीके के बारे में लोगों के ‘‘अधिक जागरूक’’ होने के बाद संख्या में धीरे-धीरे बढ़ोतरी होगी। उन्होंने कहा, ‘‘सरकार को सूचना देने की प्रक्रिया मजबूत करनी होगी। टीका केंद्रों तक पहुंच गया है, अब सूचना हर किसी तक पहुंचाने की जरूरत है।’’ गांगुली ने कहा कि लोगों को कोविन ऐप चलाने में भी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। प्रक्रिया को सुचारू बनाने के लिए तकनीकी खामियों को जल्द दुरूस्त करने की जरूरत है। टीके के प्रभाव पर भी सवाल उठे हैं, खासकर भारत बायोटेक के कोवैक्सीन पर। राम मनोहर लोहिया अस्पताल के रेजिडेंट्स डॉक्टर्स एसोसिएशन ने शनिवार को अस्पताल प्रशासन से आग्रह किया कि उन्हें सीरम इंस्टीट्यूट का कोविशील्ड टीका लगाया जाए न कि कोवैक्सीन। एसोसिएशन ने पत्र लिखकर कहा कि चिकित्सक कोवैक्सीन को लेकर चिंतित हैं क्योंकि इसका पूरी तरह परीक्षण नहीं किया गया। जिन लोगों को कोवैक्सीन का टीका लगाया जा रहा है उनसे अलग से सहमति पत्र पर हस्ताक्षर कराया जा रहा है जिसमें वर्णित है कि तीसरे चरण के परीक्षण के बगैर टीका लगाया जा रहा है।

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