नई दिल्ली, नगर संवाददाता: दिल्ली पुलिस की क्राइम ब्रांच ने एक ऐसे शख्स को गिरफ्तार किया है जो बड़े नेताओं, ब्यूरोक्रैट और सरकार सहित विभिन्न संगठन प्रमुखों के नाम पर फोन कर लोगों से फर्जीवाड़ा करता था। पुलिस के हत्थे चढ़े इस आरोपी ने खुद को सरकार के कई बड़े मंत्रियों व संगठन के बड़े अधिकारियों का करीबी भी बताता था। इतना ही नहीं वह खुद को भी कभी मिनिस्ट्री हेल्थ एंड फैमिली वेलफेयर का जॉइंट सेक्रेटरी तो कभी एम्स का असिस्टेंट प्रोफेसर बताता था।
गिरफ्तार आरोपी के पास से पुलिस ने मिनिस्ट्री हेल्थ एंड फैमिली वेलफेयर के जॉइंट सेक्रेटरी का फर्जी आई-कार्ड, एम्स के असिस्टेंट प्रोफेसर का आई-कार्ड, संजय गांधी मेमोरियल के डॉक्टर का फर्जी आई-कार्ड, आर्मी के आरआर हॉस्पिटल का विजिटिंग कार्ड और दो मोबाइल फोन बरामद हुए। वह कई बड़े ब्यूरोक्रैट के नाम से उसने अपना परिचय पत्र भी तैयार कर लिया था।
पुलिस के मुताबिक बड़े मंत्रियों, संगठन के बड़े अधिकारियों के नाम पर कॉल कर खासतौर से आर्मी समेत कई नामी डॉक्टरों से ठगी करने का आरोप है। गिरफ्तार आरोपी देवेंद्र कुमार मिश्रा (44) मध्य प्रदेश के रीवा जिले का रहने वाला है। क्राइम ब्रांच की साइबर सेल ने उसे मंगलवार दोपहर को पहाड़गंज के उदासीन आश्रम के पास से पकड़ा। उसके पास कई फर्जी दस्तावेज भी बरामद हुए हैं, जिनमें मंत्रालय के आईडी भी शामिल हैं।
पुलिस के मुताबिक, डॉ. प्रवीन कुमार रेड्डी ने क्राइम ब्रांच के साइबर सेल को इस शख्स की जानकारी दी। उन्होंने अपनी शिकायत में बताया कि चार अक्तूबर को उनके पास देवेंद्र मिश्रा नाम के शख्स का कॉल आया, जिसने खुद को एम्स और आर्मी के आरआर हॉस्पिटल में विजिटिंग फैकल्टी और नीति आयोग का सलाहकार भी बताया था। उसने डॉ. रेड्डी को दिल्ली कैंट स्थित आरआर हॉस्पिटल के ऑफिसर मेस में बुलाया तो वह 10 अक्तूबर को वहां पहुंचे। गेस्ट रूम के बाहर डॉ. देवेंद्र नीति आयोग की नेमप्लेट लगी हुई थी।
बातचीत के दौरान देवेंद्र ने बताया कि वह कई मंत्रालायों और उनके वहां तैनात तमाम ब्यूरोक्रेट्स से रोजाना मिलता है। वह मनचाही प्रमोशन और पोस्टिंग में मदद कर सकता है। अपने फोन में कई आर्मी के अफसरों और मंत्रियों के फोटो भी दिखाए। एक मोबाइल नंबर दिखाते हुए बोला कि यह आरएसएस के एक बड़े पदाधिकारी का है। वह उनके संपर्क में रोजाना रहता है। इससे डॉ. प्रवीण को शक हुआ कि यह शख्स ऐसा करके मासूम लोगों से धोखाधड़ी करता होगा। उन्होंने उसकी शिकायत क्राइम ब्रांच से कर दी।
पूछताछ में उसने बताया कि वह गाजियाबाद से पंचकुइयां रोड किसी से मिलने के लिए आया था। पूछताछ में यह भी खुलासा हुआ कि आरोपी ने लेफ्टिनेंट जनरल (रिटायर्ड) अनूप बनर्जी को जोधपुर एम्स का डायरेक्टर बनवाने का झांसा दिया था। उन्होंने क्राइम ब्रांच को बताया कि उसने किसी से फोन भी कराया था और कॉल करने वाले शख्स पर भरोसा करते हुए उन्होंने अपने दस्तावेज 31 दिसंबर को ही उसे दे भी दिए थे।