राजनीतिक विरोधी अपने हितों के लिए किसान आंदोलन का दुरुपयोग कर हैं: मोदी

नई दिल्ली, नगर संवाददाता: प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने शुक्रवार को तीन कृषि कानूनों के खिलाफ आंदोलन कर रहे किसानों और सरकार के बीच जारी गतिरोध के लिए इसकी आड़ में राजनीतिक हित साधने वाले लोगों को दोषी ठहराया। उन्होंने कहा कि न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) को लेकर चिंताओं की जगह हिंसा के आरोपियों की रिहाई और राजमार्गों को टोल मुक्त बनाने जैसे असंबद्ध मुद्दे इसमें हावी होने लगे हैं। तीन कृषि कानूनों को पुरजोर तरीके से बचाव करते हुए मोदी ने कहा कि सरकार उन लोगों के साथ भी बातचीत करने को तैयार है जो अलग विचारधारा के चलते सरकार के खिलाफ हैं लेकिन यह बातचीत ‘‘तर्कसंगत, तथ्यों और मुद्दों’’ पर आधारित होनी चाहिये। उन्होंने दावा किया कि देश के बड़ी संख्या में किसानों ने इन तीन कृषि कानूनों का स्वागत किया है और वे इसके फायदे भी उठा रहे हैं। उन्होंने तर्क दिया कि हाल कि दिनों में असम, राजस्थान ओर जम्मू एवं कश्मीर सहित विभिन्न राज्यों में हुए स्थानीय निकाय के चुनावों में भाजपा को जीत मिली और इन चुनावों में भाग लेने वाले मतदाता मुख्यतः किसान थे। पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के जन्म दिवस पर ‘प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि’ योजना की नई किस्त में नौ करोड़ से अधिक किसानों के लिए औपचारिक रूप से 18,000 करोड़ रुपये की राशि जारी करने के बाद प्रधानमंत्री मोदी वीडियो कांफ्रेस के जरिए देश के किसानों को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि देश की जनता ने जिन राजनीतिक दलों को नकार दिया है वे अपनी राजनीतिक रोटियां सेंकने के लिए किसानों को गुमराह कर रहे हैं। किसानों के प्रदर्शन का जिक्र करते हुए मोदी ने कहा कि जब आंदोलन की शुरुआत हुई थी तब नये कानूनों को लेकर उनकी एमएसपी सहित कुछ वाजिब चिंताएं थीं लेकिन बाद में इसमें राजनीतिक लोग आ गए और उन्होंने किसानों के कंधों पर बंदूक रखकर चलाना आरंभ कर दिया और असंबंद्ध मुद्दों को उठाना आरंभ कर दिया। उन्होंने कहा, ‘‘आपने देखा होगा कि जब आंदोलन की शुरुआत हुई थी तो उनकी मांग एमएसपी गारंटी की थी। उनके मुद्दे वाजिब थे क्योंकि वे किसान थे। लेकिन अब इसमें राजनीतिक विचारधारा के लोग हावी हो गए।’’ उन्होंने कहा, ‘‘एमएसपी वगैरह को अब किनारे रख दिया गया है। अब वहां क्या हो रहा है। वे हिंसा के आरोपियों की जेल से रिहाई की मांग कर रहे हैं…वे राजमार्गों को टोल-फ्री करवाना चाहते हैं। किसानों की मांग से वह दूसरी मांगों की ओर क्यों चले गए?’’ उन्होंने कहा, ‘‘ऐसी परिस्थिति में भी देशभर के किसानों ने कृषि सुधारों का समर्थन किया है… भरपूर समर्थन किया है और स्वागत किया है। मैं सभी किसानों का आभार व्यक्त करता हूं और उन्हें भरोसा दिलाना चाहता हूं कि आप के विश्वास पर हम कोई आंच नहीं आने देंगे।’’ मोदी ने आरोप लगाया कि किसानों के आंदोलन का इस्तेमाल कई अन्य मौजूदा नीतियों के विरोध के लिए भी किया जा रहा है। उल्लेखनीय है कि हजारों की संख्या में किसान दिल्ली की विभिन्न सीमाओं पर लगभग एक महीने से इन कानूनों के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे हैं। मोदी ने इस अवसर पर पीएम-किसान के लाभ से पश्चिम बंगाल के 70 लाख से अधिक किसानों को वंचित रखने को लेकर मुख्यमंत्री ममता बनर्जी पर जमकर हमला बोला और आरोप लगाया कि वह राजनीतिक कारणों से ऐसा कर रही हैं। प्रधानमंत्री ने पश्चिम बंगाल में कभी बड़ी ताकत रहे वामपंथी दलों पर निशाना साधा और आरोप लगाया कि उनकी राजनीतिक विचारधारा ने बंगाल को ‘‘बर्बाद’’ कर दिया। उन्होंने कहा कि बंगाल में किसानों के अहित पर वे कुछ नहीं बोलते लेकिन और अब किसानों के नाम पर देश की अर्थ नीति को बर्बाद करने में लगे हुए हैं। ज्ञात हो कि पश्चिम बंगाल में अगले साल अप्रैल-मई महीने में विधानसभा के चुनाव होने हैं और भाजपा ने अभी से वहां अपना अभियान चला रखा है। वामपंथी दलों के 34 साल के शासन का खात्मा कर ममता बनर्जी के नेतृत्व में तृणमूल कांग्रेस वहां 2011 से सत्ता पर काबिज है। उन्होंने कहा, ‘‘पूरे हिंदुस्तान के किसानों को इस योजना का लाभ मिल रहा है। सभी विचारधारा की सरकारें, इससे जुड़ी हैं लेकिन लेकिन एकमात्र पश्चिम बंगाल है जहां के 70 लाख से अधिक किसान इस योजना के लाभ नहीं ले पा रहे हैं। उनको यह पैसे नहीं मिल पा रहे हैं, क्योंकि बंगाल की सरकार अपने राजनीतिक कारणों से इसे लागू नहीं कर रही है।’’ मोदी ने वामपंथी दलों पर निशाना साधते हुए उनसे सवाल किया कि वे क्यों नहीं इस मुद्दे पर राज्य सरकार के खिलाफ आंदोलन कर रहे हैं। उन्होंने कहा, ‘‘जो लोग 30-30 साल तक बंगाल में राज करते थे… एक ऐसी राजनीतिक विचारधारा को लेकर के बंगाल को कहां से कहां ला दिया और क्या हालत करके रखा है.. सारा देश जानता है। ममता जी के 15 साल पुराने भाषण सुनेंगे तो पता चलेगा कि इस राजनीतिक विचारधारा ने बंगाल को कितना बर्बाद कर दिया था।’’ उन्होंने कहा कि किसानों को दो हजार रुपया मिलने वाला यह कार्यक्रम है लेकिन इन लोगों (वाम दलों) ने बंगाल के अंदर कोई आंदोलन नहीं चलाया। उन्होंने कहा, ‘‘आपके दिल में किसानों के लिए इतना प्यार था तो …बंगाल आपकी धरती है…बंगाल में किसानों को न्याय दिलाने के लिए, पीएम-किसान के पैसे किसानों को मिले, इसके लिए क्यों आंदोलन नहीं किया? क्यों आपने आवाज नहीं उठाई? और आप वहां से उठकर पंजाब पहुंच गए।’’ उन्होंने कहा, ‘‘स्वार्थ की राजनीति करने वालों को जनता बहुत बारीकी से देख रही है। जो दल पश्चिम बंगाल में किसानों के अहित पर कुछ नहीं बोलते वो दल यहां किसान के नाम पर दिल्ली के नागरिकों को परेशान करने में लगे हुए हैं, देश की अर्थनीति को बर्बाद करने में लगे हुए हैं।’’ वामपंथी दलों के साथ कांग्रेस पर भी हमला करते हुए मोदी ने कृषि उपज बाजार समिति (एपीएमसी) मंडियों का मुद्दा भी उठाया और उनपर दोहरा चरित्र अपनाने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा, ‘‘जिन् होंने बंगाल को बर्बाद किया, केरल में उनकी सरकार है। इसके पहले जो 50 साल 60 साल तक देश पर राज करते थे उनकी सरकार थी। केरल में एपीएमसी नहीं हैं। मंडियां नहीं हैं। केरल में आंदोलन करके वहां तो एपीएमसी चालू करवाओ।’’ उन्होंने कहा, ‘‘पंजाब के किसानों को गुमराह करने के लिए आपके पास समय है, केरल के अंदर यह व् यवस् था नहीं है, अगर ये व् यवस् था अच् छी है तो केरल में क् यों नहीं है? क् यों आप दोगली नीति लेकर के चल रहे हो? ये किस तरह की राजनीति कर रहे हैं जिसमें कोई तर्क नहीं है, कोई तथ्य नहीं है।’’ उन्होंने कहा कि सिर्फ झूठे आरोप लगाकर और अफवाहें फैलाकर ये विपक्षी दल ‘‘भोले-भाले किसानों’’को गुमराह कर रहे हैं। प्रधानमंत्री ने आरोप लगाया कि विपक्षी दल अखबारों और मीडिया में जगह बनाकर राजनीतिक मैदान में खुद के जिंदा रहने की जड़ी-बूटी खोज रहे हैं। उन्होंने कहा, ‘‘लेकिन देश का किसान उसको पहचान गया है। अब देश को किसान उनको ये जड़ी-बूटी कभी देने वाला नहीं है।’’ उन्होंने कहा, ‘हम गांवों में किसानों के जीवन को आसान बना रहे हैं। जो लोग आज बड़े बड़े भाषण दे रहे हैं जब वह सत्ता में थे तब उन्होंने किसानों के लिये कुछ नहीं किया।’ मोदी ने कहा कि उनकी सरकार ने और अधिक फसलों को नयूनतम समर्थन मूल्य का लाभ दिया और किसानों को रिकार्ड धनराशि उपलब्ध कराई है। इस बीच, केंद्रीय मंत्रियों अमित शाह, राजनाथ सिंह, प्रकाश जावड़ेकर, स्मृति ईरानी के अलावा भाजपा के अन्य नेताओं ने भी प्रधानमंत्री के संबोधन से पहले देश भर में विभिन्न स्थानों पर किसानों को संबोधित किया। किसानों के साथ उन्होंने प्रधानमंत्री का भाषण भी सुना। सिंह ने किसानों से अपील की कि वे नए कृषि कानूनों को एक या दो साल के लिए ‘‘प्रयोग’’ के रूप में देखें और अगर उनसे कृषकों को फायदा नहीं होता है तो सरकार उनमें आवश्यक संशोधन करेगी। शाह ने कहा कि जब तक नरेन्द्र मोदी देश के प्रधानमंत्री हैं तब तक कोई कंपनी किसानों से उनकी जमीन नहीं छीन सकती है। उन्होंने यह भी कहा कि न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) की व्यवस्था जारी रहेगी और मंडियां बंद नहीं होंगी। ईरानी ने अपने संसदीय निर्वाचन क्षेत्र अमेठी में कांग्रेस पर आरोप लगाया कि वह अपनी राजनीति चमकाने के लिए नये कृषि कानूनों के बारे में किसानों में भ्रम फैला रही है। साथ ही, उन्होंने कहा कि किसान नई तकनीक के जरिए अपनी आमदनी बढ़ाना चाहता है, जिससे कांग्रेस को तकलीफ हो रही है। सितंबर में लागू हुए तीन कृषि कानूनों के खिलाफ हजारों किसान करीब एक महीने से दिल्ली की सीमाओं पर डटे हुए हैं। ये किसान मुख्य रूप से पंजाब, हरियाणा और उत्तर प्रदेश के कुछ हिस्सों से हैं। किसान यूनियनों और सरकार के बीच कम से कम पांच दौर की बातचीत हो चुकी है लेकिन गतिरोध दूर नहीं हो सका है। किसान संगठन नए कानूनों को वापस लिए जाने की जिद पर अडिग है और उन्हें आशंका है कि नए कानूनों से मंडी और न्यूनतम समर्थन मूल्य व्यवस्था कमजोर होगी। उन्हें यह भी आशंका है कि नए कानूनों से कार्पोरेट जगत का प्रभाव काफी बढ़ जाएगा। हालांकि सरकार ने इन आशंकाओं को दूर करने का प्रयास करते हुए कहा है कि ऐसी आशंकाएं गलत हैं तथा नए कानूनों का मकसद किसानों की मदद करना है।

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