दिल्ली के अस्पतालों में 80 फीसदी बेड कोरोना के लिए आरक्षित करने के खिलाफ सुनवाई टली

नई दिल्ली, नगर संवाददाता: दिल्ली हाई कोर्ट ने निजी अस्पतालों में 80 फीसदी आईसीयू बेड कोरोना के मरीजों के लिए आरक्षित रखने के आदेश के खिलाफ दायर याचिका पर सुनवाई टाल दी है। हाई कोर्ट को ये बताया गया कि दिल्ली सरकार ने निजी अस्पतालों में कोरोना मरीजों के लिए आरक्षित बेड की संख्या कम करने और गैर-कोरोना मरीजों का इलाज शुरू करने के लिए कमेटी का गठन किया है। ये कमेटी आज ही रिपोर्ट देने वाली है। उसके बाद जस्टिस नवीन चावला की बेंच ने इस मामले पर सुनवाई कल यानी 24 दिसम्बर तक के लिए टाल दी। सुनवाई के दौरान निजी अस्पतालों की ओर से वरिष्ठ वकील मनिंदर सिंह ने कहा कि दिल्ली सरकार ने निजी अस्पतालों में कोरोना मरीजों के लिए आरक्षित बेड की संख्या कम करने के लिए चार सदस्यीय कमेटी का गठन किया है। ये कमेटी आज ही रिपोर्ट देनेवाली है। मनिंदर सिंह ने कहा कि एक के बाद दूसरी कमेटियां बनाई जा रही हैं। वे निजी अस्पतालों के ऊपर बैठ गए हैं। उन्होंने कहा कि ब्रिटेन के वायरस का भारत में कोई प्रभाव नहीं है। दिल्ली सरकार की ओर से वकील संजय घोष ने कहा कि दिल्ली डिजास्टर मैनेजमेंट कमेटी की बैठक में शामिल विशेषज्ञों ने नए वायरस पर चर्चा की है। विशेषज्ञों ने कहा कि इस वायरस के प्रभाव को मॉनिटर करने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि दिल्ली सरकार ने अस्पतालों में आईसीयू बेड कोरोना मरीजों के लिए कम करने के लिए जो कमेटी बनाई है, वो कमेटी आज रिपोर्ट देगी। उसके बाद कोर्ट ने सुनवाई कल तक के लिए टाल दी। कोर्ट ने दिल्ली सरकार को कमेटी की रिपोर्ट कोर्ट में पेश करने का निर्देश दिया। अस्पतालों की ओर से पेश वकील मनिंदर सिंह ने दिल्ली सरकार से कहा था कि आप कभी भी जहांगीरी फरमान जारी कर देते हैं। उन्होंने कहा था कि कोर्ट ने इस मामले में दो बार सुनवाई स्थगित की है। दिल्ली सरकार हर बार कोई न कोई बहाना बनाकर सुनवाई टालना चाहती है। मनिंदर सिंह ने दिल्ली सरकार से पूछा था कि आप खुद का इंफ्रास्ट्रक्चर क्यों नहीं मजबूत कर रहे हैं। आप कोरोना के नाम पर हर चीज का राष्ट्रीयकरण करना चाहते हैं। हम चाहते हैं कि इस पर जल्द फैसला हो। क्या ये दलील सही है कि मरीज निजी अस्पताल को प्राथमिकता देते हैं, इसलिए वे राष्ट्रीयकरण जारी रखेंगे। मरीज सरकारी अस्पताल को प्राथमिकता नहीं दे रहे हैं। गैर-कोरोना मरीजों के लिए कोई बेड नहीं मिल रहा है। पिछली 9 दिसम्बर को हाई कोर्ट ने कहा था कि अगर निजी अस्पतालों में कोरोना मरीजों के लिए आरक्षित 50 फीसदी से ज्यादा आईसीयू बेड खाली पड़े हैं तो कोरोना मरीजों के लिए 80 फीसदी आईसीयू बेड आरक्षित रखे जाने से जुड़े फैसले पर तुरंत और दोबारा विचार करने की जरूरत है। पिछली 26 नवम्बर को कोर्ट ने कहा था कि दिल्ली में कोरोना की स्थिति को देखते हुए डिवीजन बेंच हमारे आदेश पर रोक लगा चुकी है। हम स्थिति में सुधार के बाद ही कोई सुनवाई कर सकते हैं। पिछले 12 नवम्बर को कोर्ट की डिवीजन बेंच ने दिल्ली के 33 निजी अस्पतालों में 80 फीसदी आईसीयू बेड कोरोना के मरीजों के लिए आरक्षित रखे जाने के आदेश पर लगी रोक को हटा दिया था। सिंगल बेंच ने 22 सितम्बर को दिल्ली सरकार के आदेश पर रोक लगाते हुए दिल्ली सरकार के आदेश को संविधान की धारा 21 के खिलाफ बताया था। सिंगल बेंच ने कहा था कि बीमारी खुद कभी आरक्षण का आधार नहीं बन सकती है।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here