डॉ. हर्ष वर्धन ने टीबी और वक्ष रोगों के 75वें राष्ट्रीय सम्मेलन को संबोधित किया

नई दिल्ली, नगर संवाददाता: केन्द्रीय स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्री डॉ. हर्ष वर्धन ने आज टीबी और वक्ष रोगों के 75वें राष्ट्रीय सम्मेलन को वर्चुअल माध्यम से संबोधित किया। डॉ. हर्ष वर्धन ने प्रारंभ में टीबी मुक्त भारत बनाने की दिशा में उठाए गए बड़े कदमों- बहुपक्ष समन्वय, रोकथाम और रोगी केन्द्रित गुणवत्ता केयर के महत्व को स्पष्ट किया। ट्यूबरक्लोसिस एसोसिएशन ऑफ इंडिया के सभी सदस्यों को 1939 में स्थापित इस संगठन के समय से आठ दशक में किए गए निस्वार्थ कार्य के लिए बधाई देते हुए उन्होंने कहा कि कोविड महामारी के दौरान टीबी के खिलाफ लड़ाई में भारत के टीबी वॉरियर्स के दृढ़ संकल्प देश भर के जन-स्वास्थ्य वर्करों के लिए प्रेरणा था।

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में की गई महत्वपूर्ण प्रगति का विवरण देते हुए केन्द्रीय मंत्री ने कहा कि हमारी सरकार ने ऐसे कार्यक्रम किए हैं, जो पहुंच और आकार के आधार पर अद्वितीय हैं। टीबी को देश में सूचनीय घोषित करने से टीबी मामलों की पहचान में सुधार आया है और देश में सूचित न किए गए मामलों की पहचान के अंतर में कमी लाने में मदद मिली है। 2017 में दस लाख ऐसे मामलों का पता लगा, जिनकी सूचना नहीं मिली थी। 2019 में यह संख्या कम होकर 2.4 लाख हो गई। 2019 में निजी क्षेत्र द्वारा सूचित किए गए लगभग सात लाख टीबी मरीज के मद्देनजर यह क्षेत्र टीबी को समाप्त करने के हमारे प्रयासों को बड़ा योगदान दे रहा है।

उन्होंने यह भी कहा कि हमने निदान क्षमता का व्यापक विस्तार किया है और वर्तमान में देश भर में 21,000 से अधिक माइक्रोस्कोपिक केन्द्र कार्यरत हैं। विगत दो वर्षों में हमने रैपिड मॉलिक्यूलर टेस्टिंग उपकरणों की संख्या बढ़ाकर 3,000 से अधिक कर दी है और इस तरह कम से कम एक ऐसा उपकरण अब देश के प्रत्येक जिले में है। इसी तरह प्रत्येक जिले में कम से कम एक मॉलिक्यूलर निदान सुविधा है और हम ब्लॉक स्तर पर इसे विकेन्द्रिकृत कर रहे हैं। हमने दवा प्रतिरोधक और दवा संवेदनशील टीबी के लिए नवीनतम प्रमाण आधारित और इंजेक्शन फ्री व्यवस्था की है। हमने नई दवाओं की शुरूआत की है। 15,000 से अधिक रोगियों को बेडाक्विलीन और डेनामानिड दवाएं मिली हैं, जिनके लिए देश के विभिन्न भागों में 700 से अधिक डीआरटीबी केन्द्र हैं। इसके अलावा यह कार्यक्रम गुणवत्तापूर्ण देखभाल प्रदान करने और कारगर कार्यक्रम निष्कर्ष के लिए अग्रिम पंक्ति के कार्यकर्ताओं के क्षमता निर्माण हेतु कार्यक्रम में बहुत अधिक निवेश कर रहा है। उन्होंने यह भी कहा कि कृत्रिम बुद्धिमत्ता के उपयोग की टीबी रोगियों की पहचान और इनकी देखभाल करने के लिए संभावना का भी पता लगाया गया।

उन्होंने न केवल रोग को लक्ष्य बनाने अपितु इस रोग के साथ जुड़ी अन्य बीमारियों और सामाजिक निर्धारकों की सफलता के स्रोत पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि हम निक्षय पोषण योजना के अंतर्गत सभी टीबी मरीजों को वित्तीय सहायता प्रदान कर रहे हैं, जो कि रोगियों के खर्च में कमी लाने और उपचार के पालन में बढ़ोतरी के लिए है। इसके अलावा हम निजी क्षेत्र में उपचार करा रहे टीबी मरीजों के लिए दवाएं और निदान की सुविधा मुफ्त प्रदान कर रहे हैं। उपचार के पूरे काल में सभी टीबी मरीजों को पोषण सहायता प्रदान की जाती है। अब तक 886 करोड़ रुपये पोषण सहायता के रूप में टीबी मरीजों को प्रत्यक्ष लाभ अंतरण के तहत दिए गए हैं।

टीबी उन्मूलन के बारे में उन्होंने कहा कि अस्पतालों के वार्ड और ओपीडी के प्रतीक्षा कक्ष में एयरबोर्न इंफेक्शन कंट्रोल पर फोकस करने के निर्देश दिए गए हैं। टीबी कार्यक्रम में पहले से ही टीबी मरीजों के शिशु संपर्कों में टीबी रोग के खिलाफ कीमोप्रोफीलेक्सीस का प्रावधान है और टीबी मरीजों को व्यस्क संपर्कों के लिए भी टीबी से रोकथाम के उपचार का विस्तार किया जाएगा।

डॉ. हर्ष वर्धन ने कहा कि कोविड-19 द्वारा उत्पन्न चुनौतियों के बावजूद टीबी कार्यक्रम में तेजी आई है। हमने टीबी-कोविड के लिए बाइ-डायरेक्शन्ल स्क्रीनिंग समेत कई रोग में कमी लाने वाले उपाय शुरू किए हैं और देश में टीबी-कोविड के लिए मामलों का पता लगाने के लिए संयुक्त प्रयास किए गए हैं।

डॉ. हर्ष वर्धन ने कहा कि राष्ट्रीय टीबी उन्मूलन कार्यक्रम में 2018 और 2019 में क्रमशः टीबी के मामलों में 18 प्रतिशत और 12 प्रतिशत वृद्धि हुई। उन्होंने कहा कि सरकार ने टीबी अनुसंधान कार्यों में काफी निवेश किया है। भारतीय चिकित्सा आयुर्विज्ञान परिषद और भारत टीबी अनुसंधान परिसंघ मिलकर नैदानिक, थेरापेयुटिक्स, वैक्सीन और अन्य ऐसे महत्वपूर्ण क्षेत्रों में अगली पीढ़ी का अनुसंधान कर रहे हैं। उन्होंने बल देकर कहा कि सरकार 5,000 के बड़े नमूने के आकार के साथ विश्व में सबसे बड़ा राष्ट्रीय टीबी प्रसार सर्वेक्षण करा रही है।

तीन दिन के इस वर्चुअल कार्यक्रम को महात्मा गांधी मैमोरियल मेडिकल कॉलेज, इंदौर और एमपी-टीबी एसोसिएशन ने मिलकर टीबी एसोसिएशन ऑफ इंडिया के तत्वावधान में आयोजित किया है।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here