एमबीए डिग्रीधारी को जिंदा या मुर्दा पकड़वाने पर 15 लाख रुपए का इनाम

जम्मू/नगर संवाददाता : जम्मू कश्मीर पुलिस ने हिज्बुल मुजाहिदीन के 2 आतंकवादियों को जिंदा या मुर्दा पकड़वाने के लिए कोई भी सूचना देने पर मंगलवार को 15 लाख रुपए के नकद इनाम की घोषणा की।
ऐसा संदेह है कि ये आतंकवादी डोडा जिले में सक्रिय हैं जिसे 1 दशक पहले आतंकवाद से मुक्त घोषित कर दिया गया था। पुलिस ने पहाड़ी जिले के विभिन्न स्थानों पर 2 कथित हिज्बुल मुजाहिदीन आतंकवादियों हारून अब्बास वानी और मसूद अहमद को पकड़ने के लिए नकद पुरस्कार की घोषणा वाले पोस्टर लगाए हैं।
पोस्टरों में इन आतंकवादियों को श्जिंदा या मुर्दाश् पकड़वाने के लिए कहा गया है। वानी घाट गांव का रहने वाला है और अहमद डेस्सा गांव का रहने वाला है।
जम्मू क्षेत्र में डोडा के साथ कई अन्य जिलों को 1 दशक पहले आतंकवाद से मुक्त घोषित किया गया था। दोनों की तस्वीरों वाले पोस्टरों में लिखा हुआ है. ‘जिंदा या मुर्दा पकड़वाने के लिए किसी भी सूचना के लिए 15 लाख रुपए का नकद इनाम दिया जाएगा।’

इनमें एक संदेश लिखा है. सूचना देने वाले शख्स की पहचान गुप्त रखी जाएगी। अपनी रक्षा के लिए कृपया हमारी मदद करें। मुख्य बाजार, दो बैंकों के बाहर और स्थानीय पुलिस थाने के समीप एक दीवार पर लगे पोस्टरों में पुलिस को सूचना देने के लिए 3 मोबाइल नंबर भी लिखे हैं। जिले में पिछले कई वर्षों से आतंकवाद से संबंधित कोई घटना सामने नहीं आई है लेकिन यह पहली बार है कि पुलिस ने जिले में किसी आतंकवादी को पकड़ने के लिए इनाम की घोषणा की है।
एमबीए डिग्रीधारी है वानी: अधिकारियों ने बताया कि श्री माता वैष्णोदेवी विश्वविद्यालय से बिजनेस एडमिनिस्ट्रेशन में परास्नातक की डिग्री लेने वाला 30 वर्षीय वानी गत वर्ष सितंबर में प्रतिबंधित संगठन में शामिल हुआ था जबकि अहमद 5 महीने पहले समूह का सक्रिय सदस्य बना था।

उन्होंने बताया कि सुरक्षा बल पिछले कुछ सप्ताहों से जिले में विभिन्न स्थानों पर खोज एवं घेराबंदी अभियान चला रहे हैं। उन्हें सूचना मिली कि कुछ आतंकवादी जिले में सक्रिय हो गए हैं।
हालांकि सुरक्षा बल अभी तक किसी आतंकवादी को पकड़ नहीं पाए। वानी के कथित तौर पर हिज्बुल मुजाहिदीन में शामिल होने के तुरंत बाद सोशल मीडिया पर एके-47 राइफल के साथ उसकी तस्वीर वायरल हो गई थी। इसके बाद उसके परिवार ने उससे वापस लौटने की अपील की थी।
उसकी एक रिश्तेदार ने एक वीडियो संदेश में कहा था कि सबसे बड़ी जिहाद अपने बुजुर्ग माता.पिता की सेवा करना है। जिहाद की कोई जरूरत नहीं है, क्योंकि हम खुश हैं। तुम्हारी अम्मी और अब्बू बीमार पड़ गए हैं और उन्हें तुम्हारी बहुत जरूरत है। अल्लाह के लिए लौट आओ।
सेना ने भी यह आश्वासन दिया था कि अगर वानी मुख्यधारा में लौटना चाहता है तो वह उसे आवश्यक सहायता उपलब्ध कराने के लिए तैयार है।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here