नकली दूध से 2030 तक 40 फीसदी आबादी को कैंसर और ट्यूमर का खतरा

भोपाल/नगर संवददाता : भोपाल नकली दूध बनाने में इस्तेमाल किए जाने केमिकल और अन्य खतरनाक रसायनों से लोग कैंसर और ट्यूमर जैसी जानलेवा बीमारी का शिकार हो रहे हैं। यह कहना है कैंसर रोग विशेषज्ञ डॉक्टर अर्पण चतुरमोहता का है।

वेबदुनिया से बातचीत में डॉक्टर अर्पण चुतरमोहता कहते हैं कि सिथेंटिक दूध यूरिया, डिटरजेंट, कास्टिक सोडा और कई खतरनाक केमिकल को मिलाकर बनाया जाता है जिसके सेवन से लोगों में इन दिनों कैंसर और ट्यूमर जैसी घातक बीमारियों के लक्षणों में तेजी से बढ़ोतरी हो रही है।

डॉक्टर चतुरमोहता चौंकाने वाली बात कहते हैं कि सिंथेटिक दूध के बढ़ते प्रयोग से ऐसा अनुमान जताया जा रहा है कि 2030 तक करीब 40 फीसदी आबादी कैंसर और ट्यूमर जैसी खतरनाक बीमारी की चपेट में आ सकती है। वह कहते हैं कि मिलावटी दूध के सेवन से अचानक से पेट के कैंसर, ब्रैस्ट कैंसर के मरीजों की संख्या में बढ़ोतरी देखी जा रही है। दूध और उससे जुड़े प्रोडेक्ट में मिलावट के पीछे डॉक्टर चतुरमोहता उत्पादन और खपत में बड़े अंतर को जिम्मेदार मानते है।
एक तिहाई आबादी मिलावट की चपेट में । मध्य प्रदेश में मिलावटी दूध और उससे जुड़े प्रोडेक्ट का व्यापार इतनी बड़ी मात्रा में हो रहा है जिसके चलते सूबे की करीब एक तिहाई आबादी इसकी चपेट में है। फूड सेफ्टी एंड स्टैंडर्ड अथॉरिटी ऑफ इंडिया (एफ.एस.एस.ए.आई) की रिपोर्ट के मुताबिक प्रदेश में बड़ी मात्रा में मिलावटी दूध की खपत हो रही है।

रिपोर्ट के मुताबिक, प्रदेश में दूध उत्पादन और उसकी खपत में 50 फीसदी का बड़ा अंतर है जिससे मिलावटखोरों को बढ़ावा मिल रहा है। सूबे के ग्वालियर चंबल रीजन में बड़े पैमाने पर नकली दूध का काला कारोबार पिछले कई सालों से धड़ल्ले से जारी है जिसका खुलासा पिछले दिनों एसटीएफ ने अपनी कार्रवाई में किया था।

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