मेरठ, उत्तर प्रदेश/नगर संवाददाताः अपने माइक्रो मैनेजमेंट के लिए मशहूर भाजपा अध्यक्ष अमित शाह शुक्रवार को मेरठ में पदयात्रा करेंगे। यह भाजपा की रणनीति और चुनावी आक्रामकता को स्पष्ट कर देता है। दरअसल यह पहली बार होगा कि शाह उत्तर प्रदेश में पदयात्रा करेंगे। इतना ही नहीं दूसरे ही दिन खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र इसी क्षेत्र में रैली भी करेंगे। स्पष्ट है कि पश्चिमी उत्तर में भाजपा कोई कसर नहीं छोड़ना चाहती है। दरअसल, चुनाव का आगाज यहीं से हो रहा है और इस जमीन से किसी भी कमी का असर दूर तक जाने का डर हर दल को है। पश्चिमी उत्तर प्रदेश का राजनीतिक महत्व कुछ खास है। सांप्रदायिकता का डर जहां हावी है वहीं गन्ना किसानों की मांगों और जाट आंदोलनों को लेकर यह क्षेत्र गर्म रहा है। जाटों के अलावा अल्पसंख्यक वोटों की संख्या अहम है। वहीं सात चरणों में होने वाले चुनाव की दिशा भी यहां से तय हो सकती है। इन दो चरणों में कुल 140 सीटों पर मतदान होने हैं। लोकसभा के दौरान यह पूरा क्षेत्र इस कदर खुलकर भाजपा के समर्थन में खड़ा हुआ था कि चौधरी अजीत सिंह भी बह गए थे। ऐसे में भाजपा जी जान से जुट गई है। घोषणापत्र में भी भाजपा ने पश्चिम की भावनाओं का ख्याल रखा है। कैराना में सांप्रदायिकता के कारण पलायन की घटना को देखते हुए जहां इंतजाम की बात कही गई है वहीं गन्ना किसानों को बिक्री के दो सप्ताह के अंदर भुगतान सुनिश्चित कराने का भी वादा किया गया है। यह देखना रोचक होगा कि शाह पदयात्रा के जरिए क्या संदेश देते हैं। उसके बाद वह धौलाना और बुलंदशहर में दो रैलियों को भी संबोधित करेंगे। पहले चरण में प्रधानमंत्री की दो रैलियां भी प्रस्तावित है। पहली रैली शनिवार को होगी।