दूर हो जाता है हर गम नित्य निरंतर ध्यान से स्वामी हरीशानंद जी।

रिपोर्टर संजय पुरी दिव्य ज्योति जाग्रति संस्थान द्वारा पठानकोट आश्रम में साप्ताहिक सत्संग कार्यक्रम का आयोजन किया गया कार्यक्रम का शुभारंभ करते हुए महात्मा रमन ने सुमधुर भजन “दूर हो जाता है, हर गम नित्य निरंतर ध्यान से” के गायन से कार्यक्रम को शुरू किया, इसी अवसर पर उपस्थित भक्तजनों को संबोधन करते हुए “दिव्य गुरु श्री आशुतोष महाराज जी” के शिष्य स्वामी हरीशानंद जी ने कहा, निरंतर अभ्यास के द्वारा एक मूर्तिकार अंगढढ़ पत्थर को भी सुंदर मूर्ति में बदल देता है, ठीक इसी प्रकार नियमित ध्यान करने से जीवन की प्रत्येक समस्या का समाधान प्राप्त किया जा सकता है , यहा पर विचार करने वाली बात यह है कि हम अपने मन को एकाग्र कैसे करें? शास्त्र कहते हैं, जब एक जीव के जीवन में किसी ब्रह्मनिष्ठ सद्गुरु का आगमन होता है, सद्गुरु जीव को दिव्य नेत्र प्रदान कर त्रिकुटी में ध्यान को केंद्रित कर देते हैं ब्रह्मज्ञान के द्वारा अपने भटकते हुए मन को एकाग्र किया जा सकता है आगे स्वामी जी ने कहा जब एक शिष्य गुरु आज्ञा में रहते हुए नियमित ध्यान साधना करता है, तो गुरुदेव की कृपा से वह शिष्य अपने मन के कुविचारों का संग त्याग कर अपने जीवन को श्रेष्ठ व महान बन पाता है, आज परम आवश्यकता है प्रत्येक इंसान को अंतर्मुखी जगत की और जाने की, जहां उसे परम सुख, परम शांति व आनंद की अनुभूति हो सके, आज का जीव बाहर मुखी होने के कारण अशांत, निराश और चिंता ग्रसित है, गुरु द्वारा प्राप्त ब्रह्मज्ञान की नियमित ध्यान साधना के द्वारा ही अपने दुखों का समूल रूप से नाश किया जा सकता है, अतः हमें ब्रह्मज्ञान की नियमित ध्यान साधना करनी चाहिए कार्यक्रम के अंत में स्वामी जी ने बताया प्रतियेक इंसान उस ईश्वर को किसी न किसी रूप में मानता जरूर है,परंतु आवश्यकता है, ईश्वर को तत्व स्वरूप से जान लेने की, जिसके लिए शास्त्र अनुसार ब्रह्मज्ञान की प्राप्ति करना ही जीव के जीवन का परम लक्ष्य है इसी अवसर पर स्वामी जगदीशानंद महात्मा रमन और सुनील जी ने सुमधुर भजनों का गुणगान किया जिसे प्रेरित होकर भक्तों ने गुरु भक्ति को प्राप्त किया ब्रह्माज्ञानी साधकों के द्वारा विश्व कल्याण की मंगल कामना हेतु ध्यान शिविर का आयोजन किया गया ।

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