नोएडा, नगर संवाददाता: सुपरटेक एमराल्ड कोर्ट के दोनों टावर ध्वस्तीकरण मामले में तीन माह में सुप्रीम कोर्ट के आदेश का पालन नहीं हो सका। ध्वस्तीकरण के लिए न तो बिल्डर की ओर से कोई कंपनी का चयन किया गया और न ही ध्वस्तीकरण की कार्ययोजना को ही नोएडा प्राधिकरण कार्यालय में प्रस्तुत किया जा सका। ऐसे में प्राधिकरण के नियोजन विभाग की ओर से सोमवार को सुप्रीम कोर्ट में अपना पक्ष प्रस्तुत करने के लिए कागजी कार्रवाई को पूरा कर दिया गया है। साथ ही कोर्ट के आगामी आदेश को लेकर तैयारी शुरू कर दी है, जिससे आदेश प्राप्त होते ही पालन कराने की दिशा में काम शुरू किया जा सके। सुप्रीम कोर्ट ने 31 अगस्त को सेक्टर-93 ए स्थित एमराल्ड कोर्ट के एपेक्स-सियान टावर को ध्वस्त करने का आदेश दिया था, जिसकी मियाद मंगलवार को पूरी होने जा रही है।
बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने टावर ध्वस्तीकरण के लिए नोएडा प्राधिकरण को मानिटरिग की जिम्मेदारी सौंपी थी, कहा था कि सुपरटेक बिल्डर को ही टावरों का ध्वस्तीकरण करना है। ऐसे में ध्वस्तीकरण किस तरह कराया जाएगा, जिससे आस-पास की सोसायटी को दिक्कत न हो, पर्यावरणीय दृष्टि से इस प्रक्रिया को पूरा किया जा सके। इसके लिए मार्ग दर्शन केंद्रीय भवन अनुसंधान संस्थान (सीबीआरआइ) भी लिया जाए। यही नहीं वर्ष 2014 में हाई कोर्ट इलाहाबाद ने जो आदेश किया था, जिसमें तत्कालीन अधिकारियों पर कानूनी कार्रवाई करने का आदेश था, उसका पालन करने को कहा गया। इसके बाद शासन स्तर पर इस पूरी प्रकरण की जांच स्पेशल इंवेस्टिगेशन टीम (एसआइटी) के जरिये जांच कर पूरा किया गया, जिसमें 24 तत्कालीन अधिकारियों समेत 30 लोगों को इस पूरी प्रकरण में दोषी माना गया, उनके खिलाफ शासन ने राज्य विजिलेंस में मामला दर्ज कराया कराया। वहीं नोएडा प्राधिकरण ने सुप्रीम कोर्ट के आदेश का पालन कराने के लिए सुपरटेक प्रबंधन के साथ कई बैठक की। सीबीआरआइ से संपर्क कर कार्रवाई को अंजाम देने का प्रयास किया गया, लेकिन बैठक में नतीजा नहीं निकल सका। अंत में नोटिस जारी कर कार्ययोजना प्रस्तुत करने का आदेश दिया, लेकिन फिर मसला हल नहीं हो सका। ऐसे में कोर्ट की अवमानना होने पर खुद के बचाव के लिए सोमवार को कागजी कार्रवाई को पूरा कर कोर्ट में अपना पक्ष प्रस्तुत कर दिया।
सुपरटेक के दोनों टावरों में 950 से ज्यादा फ्लैट्स बनाए जाने थे। 32 फ्लोर का कंस्ट्रक्शन पूरा हो चुका था। जब एमराल्ड कोर्ट हाउसिग सोसायटी के बाशिदों की याचिका पर टावर ढहाने का आदेश 2014 में आया, तब 633 लोगों ने इसमें फ्लैट बुक कराए थे, जिनमें से 248 रिफंड ले चुके हैं, 133 दूसरे प्रोजेक्ट्स में शिफ्ट हो गए, लेकिन 252 ने अब भी निवेश कर रखा है। सुप्रीम कोर्ट ने 31 अगस्त को दोनों टावरों को गिराने के निर्देश दिए। इसके लिए सुपरटेक को 90 दिनों का समय दिया गया। 88 दिन में भी कार्ययोजना का प्रस्तुतीकरण नहीं
सुपरटेक को निर्देश था कि वह कंपनी का चयन कर दोनों टावरों को ध्वस्त करे। इसके लिए कई विदेशी कंपनियां आई लेकिन सभी ने अतिरिक्त समय की मांग की। प्राधिकरण में कई बार कार्ययोजना को प्रस्तुतीकरण किया गया, लेकिन हर बार आधी तैयारी रही। इसको लेकर प्राधिकरण ने कई बार सुपरटेक को नोटिस जारी किए। अभी भी प्रस्तुतीकरण कब होगा उसका कोई भी नियत समय तय नहीं है। इस समयावधि में यह हुआ काम
-तीन माह के समय के दौरान जांच एजेंसियां सक्रिय रही। प्रवर्तन निदेशालय की टीम ने सुपरटेक के कई ठिकानों पर छापेमारी की और सुपरटेक के एमडी समेत अन्य अधिकारियों से पूछताछ की।
-एसआइटी की जांच में दोनों टावरों का ड्रोन सर्वे कराया गया। इस सर्वे की एक कापी भी सीबीआरआइ को दी गई ताकि इमारत को ध्वस्त करने में मदद मिल सके।
-एसआइटी के निर्देश पर प्राधिकरण ने ग्रीन बेल्ट की 70 हजार वर्गमीटर जमीन पर अपना कब्जा लिया इस जमीन सुपरटेक ने अपना कब्जा जमा रखा था। इसको जमीन पर किए गए पक्के कंस्ट्रक्शन को भी प्राधिकरण ने हटाया।
-प्राधिकरण ने एसआइटी की जांच में दोषी पाए गए सभी 30 लोगों को खिलाफ सीजेएम कोर्ट में अभियोजन चलाने के लिए वाद दायर किया।
-सुपरटेक ने दोनों टावरों में टावर-16 को नहीं गिराने के लिए सुप्रीम कोर्ट में मोडिफाइ याचिका डाली गई, जिसे कोर्ट ने खारिज कर दिया।