नई दिल्ली, नगर संवाददाता: दिल्ली उच्च न्यायालय ने एक बाल गृह से पांच नाबालिग लड़कियों के भागने या अपहरण का आरोप लगाने वाली याचिका के सिलसिले में दिल्ली सरकार के एक अधिकारी को पेश होने के लिये कहा है। अदालत ने कहा कि वह यहां बाल देखभाल संस्थानों में बेहतर कामकाज सुनिश्चित करने के लिये आवश्यक दिशा-निर्देश जारी करेगी। न्यायमूर्ति सुब्रमण्यम प्रसाद ने 27 मार्च को अपहृत किए जाने का दावा करने वाली पांच लड़कियों में से एक द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा कि मामला केवल एक घटना तक सीमित नहीं हो सकता।
याचिकाकर्ता ने अदालत से उन बच्चों के लिए संस्था के कामकाज की मजिस्ट्रेट जांच का निर्देश देने की अपील की है जिन्हें देखभाल और संरक्षण की जरूरत है। न्यायाधीश ने कहा, ‘‘विभिन्न बाल देखभाल संस्थानों के बेहतर कामकाज को सुनिश्चित करने के निर्देश देने में अदालत की सहायता के लिए संयुक्त निदेशक, बाल संरक्षण इकाई, महिला एवं बाल विकास विभाग को अदालत में पेश किया जाए।’’ उन्होंने कहा, ‘‘यह याचिका केवल 26-27 मार्च, 2021 की एक घटना तक सीमित नहीं हो सकती है, जहां पांच नाबालिग बच्चे घर से भाग गए थे। संस्थानों के समग्र कामकाज का आकलन यह देखने के लिए किया जाना है कि क्या इनमें पर्याप्त उपाय किये गए हैं। ऐसा इसलिये किया जाना है कि ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि बच्चे ऐसे गृहों से न भागें और उन्हें क्या-क्या सुविधाएं दी गई हैं।’’ दिल्ली पुलिस ने अपनी स्थिति रिपोर्ट में अदालत को बताया कि संस्थान की इमारत लगभग 40-45 साल पुरानी है। ऐसी हालत में उसमें रहने वालों का भाग निकलना आसान है। पुलिस ने कहा, ‘‘भवन के पुराने ढांचे के कारण कमरों और खिड़कियों की स्थिति भी अच्छी नहीं पाई गई। खिड़कियों की लोहे की छड़ें बहुत कमजोर पाई गईं। पीछे की चारदीवारी लगभग आठ फुट ऊंची है और अंदर भी हालत खराब मिली।’’ दिल्ली बाल अधिकार संरक्षण आयोग (डीसीपीसीआर) ने अपने जवाब में संस्थान के कामकाज के तरीके पर चिंता जताई। मामले की अगली सुनवाई नौ दिसंबर को होगी।