नई दिल्ली, नगर संवाददाता : टोक्यो ओलंम्पिक के पदक विजेता खिलाड़ियों के लिए देश में लगभग रोज ही कहीं न कहीं सम्मान समारोहों का आयोजन किया जा रहा है और उन्हें बड़ी पुरस्कार राशि प्रदान की जा रही है लेकिन गुरूवार को यहां एक सम्मान समारोह में टाटा मोटर्स ने उन खिलाड़ियों को सम्मानित कर एक मिसाल कायम की जो पदक के एकदम करीब पहुंच कर चूक गए थे और चौथे स्थान पर रहे थे।
कप्तान रानी रामपाल के नेतृत्व में चौथा स्थान पाने वाली भारतीय महिला हॉकी टीम की 16 खिलाड़ियों कप्तान रानी रामपाल, नेहा गोयल, नवनीत कौर, उदिता, वंदना कटारिया, निशा वारसी, सविता पूनिया, मोनिका मालिक, दीप ग्रेस एक्का, गुरजीत कौर, नवजोत कौर, शर्मिला देवी, सुशीला चानू सलीमा टेट, निक्की प्रधान, रजनी एतिमारपू, मुक्केबाज सतीश कुमार(91 किग्रा) और पूजा रानी (75 किग्रा), डिस्कस थ्रोअर कमलप्रीत कौर और पहलवान दीपक पूनिया को ‘टाटा अल्ट्रोज’ कारें भेंट कर सम्मानित किया गया। समारोह में सिर्फ गोल्फर अदिति अशोक मौजूद नहीं थीं जो विदेश में खेल रही हैं। टाटा की भेंट पाने के बाद खिलाड़ियों ने कहाए ष्ऐसा सिर्फ टाटा ही कर सकते हैं। उनका दिल बहुत बड़ा है। टाटा मोटर्स के अध्यक्ष शैलेश चंद्रा ने सभी खिलाड़ियों को टाटा अल्ट्रोज गाड़ी की चाबियां प्रदान कीं।
सम्मान समारोह के चलते तमाम खिलाड़ियों ने माना कि उनको दिया गया सम्मान बहुत बड़ा है लेकिन यह जान कर हैरानी भी हुई कि सम्मानितों में से ज्यादातर खिलाड़ चोटिल हैं और आगामी अंतरराष्ट्रीय आयोजनों में भाग नहीं ले पाएंगे।
पहलवान दीपक ने कहा कि उन्हें चोट है और उन्हें दो महीने आराम की सलाह दी गयी है जिसके चलते वह अगले महीने वाली विश्व कुश्ती प्रतियोगिता के लिए ट्रायल में हिस्सा नहीं ले पाएंगे। दीपक मामूली अंतर से कांस्य पदक से चूक गए थे लेकिन उन्होंने कहा कि ऐसे सम्मान समारोह से उन खिलाड़ियों का मनोबल मजबूत होगा जो किन्ही कारणों से पदक के करीब आकर भी पदक नहीं जीत पाए।
टोक्यो से लौटने के बाद हमारे बहुत से खिलाड़ी अनफिट क्यों हैंघ् इस सवाल के जवाब में कुछ एक का कहना है कि लगातार सम्मान समारोहों में शामिल होना पड़ रहा है, जोकि अच्छा लगता है। लेकिन ट्रेनिंग के लिए पर्याप्त समय नहीं मिलने के कारण कुछ एक अंतरराष्ट्रीय आयोजनों में भाग नहीं ले पा रहे हैं जो उन्हें खराब लगता है।
ओलंम्पिक में जानदार प्रदर्शन करने वाली कुछ लड़कियों ने कहा कि उन्हें ट्रेनिंग नहीं करने का दुख है लेकिन उन्होंने पिछले कई सालों में कड़ी मेहनत की है। वे अब रिलैक्स की हकदार हैं। दीपक और थ्रोवर कमलप्रीत के कन्धे में चोट है, जिस कारण से उन्हें बड़े आयोजन छोड़ने पड़ रहे हैं।
कुल मिला कर टाटा की भेंट से जहां एक ओर पदक गंवाने वाले खिलाड़ी गौरवान्वित महसूस कर रहे थे तो दूसरी तरफ उन्हें इस बात का डर है कि यदि इसी प्रकार स्वागत समारोहों में भाग लेना पड़ा तो उनकी वर्षों की मेहनत पर पानी फिर जाएगा।