शराब की दुकानों पर उम्र सत्यापन के लिए याचिका पर अदालत ने दिल्ली सरकार से मांगा जवाब

नई दिल्ली, नगर संवाददाता : दिल्ली उच्च न्यायालय ने शराब बेचने वाली दुकानों, बारों एवं रेस्तराओं पर उम्र की अनिवार्य जांच के लिए सरकारी पहचान पत्र वाली किसी ठोस व्यवस्था की मांग संबंधी एक याचिका पर बुधवार को दिल्ली सरकार से जवाब मांगा। याचिका में कहा गया है कि मद्यपान की उम्रसीमा 25 से घटाकर 21 करने से कम उम्र में शराब पीने, नशे में गाड़ी चलाने की प्रवृति एवं सड़क पर तुनकमिजाजी बढ़ेगा। दिल्ली सरकार ने यह कहते हुए इस याचिका का विरोध किया कि मद्यपान के लिए न्यूनतम उम्र घटाने के फैसले का नशे में गाड़ी चलाने की प्रवृति से कोई लेना देना नहीं है। मुख्य न्यायाधीश डी एन पटेल और न्यायमूर्ति ज्योति सिंह की पीठ ने याचिका पर जवाब मांगते हुए दिल्ली सरकार को नोटिस जारी किया और अगली सुनवाई की तारीख 17 सितंबर तय की। इस याचिका में यह भी अनुरोध किया गया है कि जबतक उम्र के सत्यापन की ठोस व्यवस्था नहीं आ जाती है तबतक दिल्ली सरकार को नई आबकारी नीति 2021-22 को लागू करने से रोका जाए जिसमें शराब पीने की उम्र 25 से घटाकर 21 कर दिया गया है। कम्युनिटी एगेंस्ट ड्रंकेन ड्राइविंग नामक एक संगठन ने सामाजिक कार्यकर्ता प्रिंस सिंघल के मार्फत यह याचिका दायर की है जिसमें बारों, पब, शराब की दुकानों समेत शराब बेचने एवं परोसने वाले स्थानों पर अनिवार्य उम्र जांच का अनुरोध किया गया है। दिल्ली सरकार की ओर से वरिष्ठ वकील अभिषक मनु सिंघवी और राहुल मेहरा ने दलील दी कि यह किसी न किसी बहाने से इस नीति को रोकने की कोशिश है। सिंघवी ने कहा, ‘‘आज मतदान की उम्र 18 साल है। यह कहना कि 18 से अधिक उम्र का व्यक्ति वोट तो डाल सकता है लेकिन शराब नहीं पी सकता, हकीकत से दूर रहना है। चूंकि आप लोगों को 18 साल हो जाने पर शराब पीने की इजाजत देते हैं तो इसका मतलब यह नहीं कि आप उसे शराब पीकर गाड़ी चलाने की अनुमति देते हैं। कानून के अनुसार तो 50 साल के व्यक्ति को भी शराब पीकर गाड़ी चलाने की इजाजत नहीं है।’’ मेहरा ने कहा कि दिल्ली के निकटवर्ती राज्यों में मद्यपान की उम्र 21 है। याचिका में कहा गया है कि मद्यपान की उम्र घटाने से कम उम्र में गाड़ी चलाने, नशे में वाहन चलाने एवं सड़कों पर तुनकमिजाजी की घटनाएं बढ़ सकती है। याचिकाकर्ता ने दावा किया कि दिल्ली सरकार 2017 की उनकी जनहित याचिका पर कार्रवाई करने में विफल रही जहां अदालत ने सरकार को शराब बिक्री स्थलों पर उम्र सत्यापन की एक नीति बनाने का निर्देश दिया था। उसने कहा कि उम्र का सत्यापन आधार कार्ड या मतदाता पहचान पत्र जैसे सरकारी पहचान पत्रों के माध्यम से किया जाए।

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