नई दिल्ली, नगर संवाददाता: स्पेशल सेल ने कारतूसों की तस्करी में शामिल गिरोह के छह सदस्यों को गिरफ्तार किया है। इनमें दो सगे भाई हैं। आरोपियों के कब्जे से 45 सौ कारतूस बरामद किए हैं, जिन्हें दिल्ली-एनसीआर सहित आसपास के इलाकों में सक्रिय आपराधिक गिरोहों को बेचा जाना था।
डीसीपी संजीव यादव ने बताया कि हथियार तस्करों पर अंकुश लगाने के लिए इंस्पेक्टर विवेकानंद पाठक और इंस्पेक्टर कुलदीप सिंह की टीम गठित की गई है। टीम में शामिल एएसआई संजीव कुमार को सूचना मिली कि कारतूसों की बड़ी खेप रविवार को बुराड़ी आने वाली है। इसके बाद रविवार दोपहर स्पेशल सेल की टीम ने दबिश देकर मुकुंदपुर फ्लाईओवर के पास दो आरोपियों रमेश और दीपांशु को पकड़ा, जिनकी कार से पिस्टल के चार हजार कारतूस बरामद हुए। जांच में मालूम हुआ कि रमेश इन कारतूसों को गुजरात से ला रहा था जबकि दीपांशु इन्हें खरीदने के लिए आया था। पुलिस ने इनकी निशानदेही पर अमित राय, इकराम, अकरम और मनोज को भी धर दबोचा। इनसे भी पांच सौ कारतूस की बरामदगी हुई।
डीसीपी संजीव यादव ने बताया कि जयपुर निवासी गिरफ्तार आरोपी अमित राय का मामा का अंबाला में गन हाउस था। मामा की मौत के बाद अमित लाइसेंस बनवाकर खुद गन हाउस का मालिक बन गया। इसी दुकान में काम करने वाले रमेश के कहने पर अमित कारतूसों की तस्करी में शामिल हो गया। ये लोग आर्डिनेंस फैक्टरी से कानूनी तौर पर कारतूस लाते थे लेकिन गन हाउस के रजिस्टर में उसका जिक्र नहीं करते थे। करीब 80 से 85 रुपये के कारतूस आरोपी सवा सौ से डेढ़ सौ में बेचते थे। फिर यह आगे ढाई सौ से तीन सौ प्रति कारतूस की दर से बेचा जाता था।
गिरफ्तार अमित राय और दीपांशु ने एमबीए कर रखा है। दीपांशु के परिवार की इटावा में बंदूक की दुकान थी लेकिन पिता की मौत के बाद यह बंद हो गई। दीपांशु ने कई निजी कंपनियों में काम भी किया लेकिन लॉकडाउन के दौरान नौकरी से निकाल दिया गया। इसके बाद वह इस गिरोह के संपर्क में आ गया। वहीं, अमित निजी संस्थान से एमबीए की पढ़ाई करने के बाद जयपुर में नौकरी कर रहा है।
इस वारदात में गिरफ्तार इकराम और अकरम सगे भाई हैं। इनके पिता बंदूक के कारीगर थे। ये दोनों भाई भी हरियाणा में एयरगन की मरम्मत करते थे। लेकिन, आमदनी नहीं होने की वजह से इस गिरोह में शामिल हो गए। ये सभी लोग रमेश से कारतूस खरीदकर उन्हें अन्य आपराधिक गिरोहों को बेचते थे।