नई दिल्ली, नगर संवाददाता: उच्च न्यायालय ने गुरुवार को यकृत और पित्त विज्ञान संस्थान (आईएलबीएस) को लिवर की गंभीर बीमारी से जूझ रहे एक व्यक्ति के निशुल्क इलाज का आदेश दिया है। फैक्टरी में काम करके किसी तरह आजीविका चला रहे पीड़ित संजय सिंह के लिवर ने काम करना बंद कर दिया है। डॉक्टर ने उन्हें लिवर ट्रांसप्लांट कराने का परामर्श दिया है।
जस्टिस प्रतिभा एम. सिंह ने आईएलबीएस को मरीज संजय सिंह का निशुल्क करने का आदेश दिया है। साथ ही, सरकार से कहा कि वह चाहे तो मरीज की आर्थिक स्थिति का सत्यापन कर ले। अदालत ने मरीज की ओर से अधिवक्ता अशोक अग्रवाल और कुमार उत्कर्ष द्वारा दाखिल याचिका पर यह आदेश दिया है।
अधिवक्ता अग्रवाल ने न्यायालय को बताया कि पीड़ित मरीज बहादुरगढ़ की एक फैक्टरी में महज 10 हजार रुपये के वेतन पर काम करता है। याचिकाकर्ता के दो बच्चे हैं और बेटी नर्सरी कक्षा में पढ़ रही है। न्यायालय को बताया गया कि राम मनोहर लोहिया अस्पताल में डॉक्टर ने मरीज को बताया कि उसका लिवर खराब है और प्रत्यारोपण करना होगा। अस्पताल ने सुविधा की कमी का हवाला देकर मरीज को आईएलबीएस अस्पताल भेज दिया।