नई दिल्ली, नगर संवाददाता: प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने सोमवार को कहा कि देश में तैयार कोरोना के दोनों टीके दुनिया के अन्य टीकों के मुकाबले किफायती हैं और उन्हें देश की स्थितियों व परिस्थितियों के अनुरूप निर्मित किया गया है। आगामी 16 जनवरी से आरंभ हो रहे देश्व्यापी टीकाकररण अभियान के पहले प्रधानमंत्री ने आज सभी राज्यों के मुख्यमंत्रियों से संवाद किया और उन्हें भरोसा दिया कि देशवासियों को ‘‘प्रभावी’’ वैक्सीन देने के लिए वैज्ञानिक समुदाय ने ‘‘सभी सावधानियां’’ बरती हैं। उन्होंने कहा कि देश अब कोरोना के खिलाफ जंग के निर्णायक चरण में प्रवेश कर रहा है। प्रधानमंत्री ने अपने संबोधन में कहा कि केंद्र और राज्यों के बीच संवाद और सहयोग ने कोरोना के खिलाफ लड़ाई में बहुत बड़ी भूमिका निभाई है और यह सहकारी संघवाद का बेहतरीन उदाहरण है। उन्होंने कहा कि जितनी घबराहट और चिंता सात-आठ महीने पहले देशवासियों में थी, उससे लोग अब बाहर निकल चुके हैं। उन्होंने इसे देश के लिए ‘‘अच्छी स्थिति’’ बताया और सचेत किया कि इसके बावजूद लापरवाही नहीं बरतनी है। उन्होंने कहा, ‘‘देशवासियों में बढ़ते विश्वास का प्रभाव आर्थिक गतिविधियों पर भी सकारात्मक रूप से दिखाई दे रहा है। अब हमारा देश कोरोना के खिलाफ लड़ाई में निर्णायक चरण में प्रवेश कर रहा है। यह चरण है टीकाकरण का। 16 जनवरी से हम दुनिया का सबसे बड़ा टीकाकरण अभियान शुरु कर रहे हैं।’’ प्रधानमंत्री ने कहा कि देश के लिए गर्व की बात है कि जिन दो टीकों को आपात इस्तेमाल की मंजूरी दी गई है, वे दोनों ही ‘‘मेड इन इंडिया’’ हैं। उन्होंने कहा, ‘‘इतना ही नहीं, चार और टीके प्रगति में हैं। जब ये टीके आ जाएंगे तो हमें भविष्य की योजना बनाने में और सुविधा होगी।’’ मोदी ने कहा कि देशवासियों को एक प्रभावी वैक्सीन देने के लिए विशेषज्ञों ने हर प्रकार की सावधानियां बरती हैं। उन्होंने कहा, ‘‘हमारी दोनों वैक्सीन दुनिया की दूसरी वैकसीन से ज्यादा किफायती हैं। हम कल्पना कर सकते हैं कि भारत को कोरोना के टीके के लिए विदेशी वैक्सीन पर निर्भर रहना पड़ता तो हमारी क्या हालत होती। कितनी बड़ी मुश्किल होती है हम उसका अंदाज लगा सकते हैं। यह वैक्सीन भारत की स्थितियां और परिस्थितियों को देखते हुए निर्मित की गई हैं।’’ उन्होंने कहा कि भारत में अगले कुछ महीनों में 30 करोड़ लोगों को वैक्सीन मिलेगा और टीकाकरण के लिए राज्यों के साथ सलाह के बाद प्राथमिकताएं भी तय कर दी गई हैं। उन्होंने कहा कि सबसे पहले कोरोना योद्धाओं का टीकाकरण होगा और उसके बाद अग्रिम मोर्चे पर काम करने वाले कर्मियों को कोरोना का टीका लगेगा। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि पहले चिह्नित तीन करोड़ लोगों के टीकाकरण में जो खर्च होगा उसे राज्यों को नहीं वहन करना है बल्कि वह भारत सरकार करेगी। प्रधानमंत्री ने कहा कि इतने बड़े देश में लगभग सभी जिलों में टीकाकरण का पूर्वाभ्यास किया गया, वह देश की क्षमता को दिखाता है। उन्होंने कहा, ‘‘भारत में पहले से भी यूनिवर्सल इम्यूनाइजेशन प्रोग्राम चल रहे हैं, उन अनुभवों को इस टीकाकरण अभियान के साथ जोड़ा गया है। चुनाव में जिस तरह बूथ स्तर की रणनीति हमने बनाई है, उसका अनुभव यहां भी काम आएगा।’’ उन्होंने कहा कि कुछ देशों द्वारा टीकाकरण शुरू कर दिए जाने के बाद यह सवाल उठाए गए कि भारत में क्यों देरी हो रही है। उन्होंने कहा, ‘‘ मैंने हमेशा कहा है कि इस विषय पर साइंटिफिक कम्युनिटी जो कहेगी, वही हम करेंगे, उसी को हम फाइनल मानेंगे और उसी प्रकार चलते रहेंगे।’’ ज्ञात हो कि सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया द्वारा निर्मित ऑक्सफोर्ड के कोविड-19 टीके ‘कोविशील्ड’ और भारत बायोटेक के स्वदेश में विकसित टीके ‘कोवैक्सीन’ को देश में सीमित आपात इस्तेमाल के लिये भारत के औषधि नियामक की ओर से पिछले दिनों मंजूरी दी गई थी। इसके बाद यह प्रधानमंत्री का सभी मुख्यमंत्रियों के साथ पहला संवाद था। प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत के टीकाकरण अभियान पर दुनिया की नजरें टिकी हैं और अनेक देश उसका अनुसरण भी करेंगे। ऐसे में भारत की जिम्मेदारी और बढ़ जाती है। उन्होंने कहा कि दुनिया के लगभग 50 देशों में लगभग एक महीने से टीकाकरण का काम चल रहा है लेकिन अब तक करीब ढाई करोड़ लोगों का ही टीकाकरण हो पाया है। उन्होंने कहा, ‘‘अब भारत में हमें अगले कुछ महीनों में लगभग 30 करोड़ आबादी का टीकाकरण का लक्ष्य हासिल करना है। इस चुनौती का पूर्वानुमान लगाते हुए भारत ने बहुत व्यापक तैयारियां की है। अगर किसी को कुछ असहजता होती है तो उसके लिए भी जरूरी प्रबंध किए गए हैं।’’ प्रधानमंत्री ने कहा कि कोरोना के इस संकट काल में सभी राज्यों ने एकजुट होकर काम किया और इस दौरान संवेदनशीलता के साथ बड़े फैसले भी किए गए और जरूरी संसाधन भी जुटाए गए तथा साथ ही जनता को लगातार जागरूक भी करते रहे। उन्होंने कहा, ‘‘आज इसी का परिणाम है कि भारत में कोरोना का संक्रमण वैसा नहीं है जैसा दुनिया के अन्य देशों में हमने देखा है।’’
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