नई दिल्ली, नगर संवाददाता: कृषि सुधार कानूनों के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे किसानों और सरकार के बीच जारी गतिरोध के जल्द समाधान के प्रति केंद्रीय मंत्री प्रकाश जावड़ेकर बुधवार को आश्वस्त दिखे। उन्होंने किसानों के साथ जारी वार्ता को ‘‘कार्य प्रगति पर है’’ (वर्क इन प्रोग्रेस) बताया और भरोसा जताते हुए कहा कि यह आखिरी दौर में है। उन्होंने कहा कि किसानों के मुद्दे पर सरकार ‘‘संवेदनशील’’ है और उनकी समस्या के हल की दिशा में क्या किया जा सकता है, यह सरकार ने देखा है। किसानों के प्रदर्शन और इस गतिरोध को समाप्त किए जाने के दिशा में सरकार की ओर से किए जा रहे प्रयासों के बारे में पूछे गए सवालों का जवाब देते हुए जावड़ेकर ने कहा, ‘‘ये वर्क इन प्रोग्रेस है। उम्मीद करते हैं कि यह आखिरी चरण में है। कुछ और समय का इंतजार करते हैं।’’ ज्ञात हो कि राष्ट्रीय राजधानी की विभिन्न सीमाओं पर नये कृषि कानूनों को वापस लेने की मांग को लेकर हजारों किसान विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं। इन सबके बीच सरकार ने बुधवार को उन्हें ‘‘लिखित आश्वासन’’ देने का प्रस्ताव दिया कि खरीद के लिए वर्तमान में जारी न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) की व्यवस्था जारी रहेगी। सरकार ने कम से कम सात मुद्दों पर आवश्यक संशोधन का प्रस्ताव भी दिया है, जिसमें से एक मंडी व्यवस्था को कमजोर बनाने की आशंकाओं को दूर करने के बारे में है। तेरह आंदोलनकारी किसान संगठनों को भेजे गए मसौदा प्रस्ताव में सरकार ने यह भी कहा कि सितंबर में लागू किए गए नये कृषि कानूनों के बारे में उनकी चिंताओं पर वह सभी आवश्यक स्पष्टीकरण देने के लिए तैयार है, लेकिन उसने कानूनों को वापस लेने की आंदोलनकारी किसानों की मुख्य मांग के बारे में कोई जिक्र नहीं किया है। गृह मंत्री अमित शाह ने मंगलवार की रात किसान संगठनों के 13 नेताओं से मुलाकात के बाद कहा था कि सरकार तीन कृषि कानूनों के संबंध में किसानों द्वारा उठाए गए महत्वपूर्ण मुद्दों पर एक मसौदा प्रस्ताव भेजेगी। हालांकि, किसान नेताओं के साथ बैठक में कोई नतीजा नहीं निकला था, जो इन कानूनों को वापस लेने पर जोर दे रहे हैं। उल्लेखनीय है कि सरकार और किसान संगठनों के नेताओं के बीच छठे दौर की वार्ता बुधवार की सुबह प्रस्तावित थी, जिसे रद्द कर दिया गया। किसानों और सरकार के बीच अभी तक पांच बार बैठक हो चुकी है, लेकिन मामले का कोई हल नहीं निकल पाया है। प्रदर्शन कर रहे किसान कानून में संशोधन के सरकार के प्रस्ताव को अस्वीकार करते हुए, इन्हें वापस लिए जाने की मांग पर अडिग हैं। प्रदर्शन कर रहे किसानों का दावा है कि ये कानून उद्योग जगत को फायदा पहुंचाने के लिए लाए गए हैं और इनसे मंडी और न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) की व्यवस्था खत्म हो जाएगी।