नई दिल्ली/नगर संवाददाता : देश में एक बार फिर प्याज के भाव आसमान पर है। बाजार में प्याज 70 से 80 रुपए किलों मिल रहा है। लगातार बढ़ रही कीमतों की वजह से लोगों की थाली से प्याज नदारद होने लगा है। महाराष्ट्र और हरियाणा में विधानसभा चुनावों की घोषणा हो चुकी है और दिल्ली और झारखंड में चुनाव नजदिक है। ऐसे में प्याज को लेकर सियासत भी गरमा गई है।
हर साल रुलाता है प्याज: प्याज के दाम कभी किसानों को रुलाते हैं तो कभी उपभोक्ताओं को। हर साल जमाखोर प्याज की कीमतों में घट बढ़ का फायदा उठाकर जमकर मुनाफा कमाते हैं। वे बेहद सस्ते दामों में प्याज खरीदकर रख लेते हैं और भाव बढ़ने पर इस बाजार में बेंच देते हैं। ऐसा लगभग हर साल देखने को मिलता है। वहीं सरकार के सामने समस्या यह भी है कि कितना प्याज खरीदे, उसे कहां खपाए। पिछले साल ही सरकार को इन प्याजों ने करोड़ों का नुकसान करवाया था।
जब पैदावार बंपर होती है तो सरकार की लचर व्यवस्थाएं इसे संभाल नहीं पाती हैं और जब इन चीजों के दाम बढ़ते हैं तो उन्हें काबू में करना भी सरकार को नहीं आता। इसका खामियाजा आम जनता को भुगतना पड़ता है।
सरकार भी गिरा चुके हैं प्याज रू इस प्याज ने कई बार पार्टियों को हराया और बड़े-बड़े राजनीतिज्ञों को रुलाया है। 1998 में अटलबिहारी वाजपेयी की सरकार थी तो इन प्याजों ने खूब रुलाया था। अटलजी ने कहा भी कि जब कांग्रेस सत्ता में नहीं रहती तो प्याज परेशान करने लगता है। शायद उनका इशारा था कि कीमतों का बढ़ना राजनीतिक षड्यंत्र है। उस समय दिल्ली प्रदेश में भाजपा की सरकार थी और विधानसभा चुनाव सिर पर थे। तब प्याज के असर से बचने के लिए सरकार ने कई तरह की कोशिशें कीं, लेकिन दिल्ली में जगह.जगह प्याज को सरकारी प्रयासों से सस्ते दर पर बिकवाने की कोशिशें ऊंट के मुंह में जीरा ही साबित हुईं।
प्याजों की बढ़ती कीमतों का खामियाजा भाजपा को भुगतना पड़ा। जब चुनाव हुआ तो मुख्यमंत्री सुषमा स्वराज के नेतृत्व वाली भाजपा बुरी तरह हार गई। शीला दीक्षित दिल्ली की मुख्यमंत्री बनीं, लेकिन 15 साल बाद प्याज ने उन्हें भी रुला दिया। अक्टूबर 2013 को प्याज की बढ़ी कीमतों पर सुषमा स्वराज की टिप्पणी थी कि यहीं से शीला सरकार का पतन शुरू होगा। वही हुआ। भ्रष्टाचार के साथ महंगाई का मुद्दा चुनाव में एक और बदलाव का साक्षी बना।
दिल्ली में प्याज पर दंगल: दिल्ली में प्याज की कीमतों पर केंद्र और राज्य दोनों ही बेहद गंभीर दिखाई दे रहे हैं। दिल्ली में केंद्र सरकार ने कुछ दुकानों पर 22 रुपए किलो प्याज बेंचने का फैसला किया है। इससे पहले केजरीवाल सरकार ने भी 24 रुपए किलो प्याज बेचने का फैसला किया था। हालांकि इन दुकानों को छोड़ दें तो सब्जी मंडियों में प्याज अभी भी महंगा ही मिल रहा है।
क्यों बढ़ रहे हैं प्याज के दाम: प्रमुख प्याज उत्पादक राज्यों में मानसून की भारी बारिश से आपूर्ति प्रभावित हुई है जिसकी वजह से इसकी कीमतों में उछाल आया है। केंद्र सरकार ने प्याज की आपूर्ति बढ़ाने के लिए कई कदम उठाए हैं। इसके बावजूद प्याज के दाम चढ़ रहे हैं। व्यापारियों का कहना है कि देश के ज्यादातर हिस्सों में अभी भंडारण वाला प्याज बेचा जा रहा है। खरीफ या गर्मियों की फसल नवंबर से बाजार में आएगी।
तब 50 पैसे किलो में भी नहीं मिल रहे थे प्याज के खरीदार: नीमच कृषि उपज मंडी में रोजाना मध्यप्रदेश और राजस्थान के कई किसान अपनी उपज देने आते हैं। ऐसे में कई बार किसानों को अपनी उपज के सही दाम नहीं मिलने पर निराशा का सामना करना पडता है। ऊपर से आने-जाने का पैसा भी किसानों की जेब से ही खर्च होता है।
यह घटना फरवरी की है। राजस्थान की छोटी सादड़ी तहसील के गांव बसेड़ा निवासी किसान सोहनलाल आंजना (35) ने अपने गांव का एक ट्रैक्टर 1500 रुपए में किराए पर लिया। सोहनलाल ने ट्रैक्टर में करीब 30 क्विंटल प्याज भरे और कृषि उपज मंडी के लिए रवाना हुए। किसान सोहनलाल करीब 11 बजे कृषि उपज मंडी पहुंचे और अपनी उपज खाली की। करीब 2 घंटे के इंतजार के बाद दोपहर 1 बजे सोहनलाल के प्याज की नीलामी का नंबर आया।
मंडी के प्याज व्यापारी किसान सोहनलाल की उपज के पास पहुंचे, व्यापारियों ने किसान सोहनलाल को कहा कि यदि यह प्याज हम 50 पैसे किलो भी लेंगे तो हमें उसमें भी घाटा होगा और प्याज के ढेर से चले गए। परेशान किसान ने कुछ देर सोच.विचार किया। इसके बाद किसान 30 क्विंटल प्याज मंडी में ही छोड़कर अपने गांव के लिए रवाना हो गया।