जम्मू/नगर संवाददाता : केंद्रीय गृह राज्यमंत्री जी किशन रेड्डी द्वारा कश्मीर के बंद पड़े मंदिरों के प्रति दिया गया 50 हजार का आंकड़ा सभी के लिए हैरानगी प्रकट करने वाला है क्योंकि इसे और कोई नहीं बल्कि भाजपा के कई नेता भी स्वीकार करने को राजी नहीं हैं।
इस आंकड़े के खुलासे के बाद जम्मू कश्मीर में एक नई चर्चा भी आरंभ हो चुकी है। कश्मीर के लोग सकते में हैं कि उनके कश्मीर में इतने मंदिर टूट-फूट और तोड़े जाने के कारण 70 सालों में बंद हो चुके हैं और उन्हें इसके बारे में पता भी नहीं चला।
यह सच है कि कश्मीर में मंदिरों को लेकर शोरगुल हमेशा से रहा है। अगर भाजपा नेता लाल कृष्ण आडवाणी के वक्तव्य पर जाएं तो उन्होंने फरवरी 1991 में कहा था कि सभी राजनीतिक पार्टियां बाबरी के बारे में बोल रही हैं लेकिन किसी ने कश्मीर में तोड़े गए 55 मंदिरों के बारे में कुछ नहीं कहा।
दरअसल बाबरी मस्जिद गिरने के कुछ महीनों बाद उन्हीं आडवाणी जी ने फिर से कहा था कि कश्मीर में 40 मंदिर तोड़ दिए गए और सब चुप रहे। भाजपा के तत्कालीन महासचिव केदारनाथ साहनी ने तब कहा था कि सैकड़ो मंदिर गिरा दिए गए। यह बात अलग है कि उस समय भाजपा का केंद्रीय दफ्तर यह संख्या 46 बताता रहा था, जबकि भाजपा का जम्मू कार्यालय 82 की पुष्टि करता था।
यह शोरगुल यहीं समाप्त नहीं हुआ था क्योंकि फिर 1993 में आडवाणी जी ने कहा था कि मुझे सही संख्या नहीं पता। संख्या महत्त्वपूर्ण नहीं है बल्कि महत्वपूर्ण यह है कि कश्मीर में मंदिर तोड़े गए हैं।
इसके बाद भाजपा द्वारा कश्मीर में तोड़े जाने वाले मंदिरों की सूचियां अलग अलग कई बार जारी की गईं जिनमें संख्या को लेकर हमेशा ही विरोधाभास रहा था। यह बात अलग है कि इनमें 23 ऐसे मंदिर भी शामिल थे जिनका दौरा करने के बाद पत्रकारों ने पाया था कि उन्हें कभी कोई नुक्सान नहीं पहुंचा था। इसी सूची में तुलमुला स्थित क्षीर भवानी मंदिर को राकेटों से उड़ा दिए जाने की बात भी कही गई थी जो आज तक कभी सच साबित नहीं हो पाई है।
अगर कश्मीर के मंदिरों की स्थिति के बारे में बात करें तो कई प्रमुख मंदिरों में आज भी पूजा अर्चना जारी है। इनमें श्रीनगर में शंकराचार्य के साथ.साथ गणपत्यार मंदिर, तुलमुला की क्षीर भवानी और मट्टन के मंदिर भी शामिल हैं।
और अगर केंद्रीय गृह राज्यमंत्री के आंकड़े पर विश्वास करें तो 1990 में कश्मीर से पलायन करने वाले 2 से अढ़ाई लाख कश्मीरी पंडित परिवारों में से प्रत्येक चार परिवार के पास एक मंदिर होना चाहिए तभी कहीं जाकर कश्मीर में मंदिरों के होने का आंकड़ा 50 हजार को पार कर सकता है। यह जरूर माना जा सकता है कि पूरे जम्मू कश्मीर में 50 हजार मंदिर हैं और उनमें से एक अच्छी खासी संख्या में मुस्लिम बहुल इलाकों में हैं जिनकी देखभाल करने में मुस्लिम भी अपनी मुख्य भूमिका निभा रहे हैं। इनमें पुंछ का बुढ्डा अमरनाथ का मंदिर भी प्रमुख है।