दिल्ली/नगर संवददाता : नई दिल्ली। कर्नाटक में मुख्यमंत्री कुमार स्वामी ने बिजनेस एडवाइजरी कमेटी के सामने बुधवार को बहुमत साबित करने का प्रस्ताव रखा। गठबंधन के विधायकों के इस्तीफों के बाद एचडी कुमारस्वामी नीत सरकार ने 19 जुलाई को बहुमत साबित करने के लिए राज्यपाल द्वारा दी गई दो समय-सीमाओं का पालन नहीं किया था। विधानसभा से लेकर सुप्रीम कोर्ट तक कर्नाटक का सियासी ड्रामा चलता रहा।
कुमार स्वामी सरकार के फ्लोर टेस्ट को लेकर सस्पेंस बना हुआ है।
स्वामी सरकार के शक्ति परीक्षण को लेकर जारी अनिश्चितता के बीच बसपा प्रमुख मायावती ने रविवार को कहा कि उनका एकमात्र विधायक सरकार के पक्ष में वोट देगा। मायावती ने ट्वीट में कहा कि कर्नाटक में बसपा के एकमात्र विधायक एन. महेश को कुमारस्वामी सरकार के पक्ष में वोट करने के निर्देश दिए गए हैं।
सुप्रीम कोर्ट का तत्काल सुनवाई से इंकार जल्द से जल्द शक्ति परीक्षण कराने की दो निर्दलीय विधायकों की याचिका पर तत्काल सुनवाई करने से सुप्रीम कोर्ट ने इनकार कर दिया। अदालत ने कहा कि वह याचिका पर मंगलवार को विचार कर सकती है।
प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा कि असंभव। हमने पहले ऐसा कभी नहीं किया है। हम कल इस पर विचार कर सकते हैं।
निर्दलीय विधायकों आर. शंकर और एच. नागेश की ओर से पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता मुकुल रोहतगी ने पीठ से कहा कि उन्होंने कर्नाटक मामले में ताजा याचिका दायर की है और मामले की तुरंत सुनवाई का अनुरोध कर रहे हैं। इस पर जवाब देते हुए पीठ ने ये बातें कहीं। रोहतगी ने कहा कि शक्ति परीक्षण को किसी न किसी कारण से टाला जा रहा है। उन्होंने कहा कि जब जद;एसद्ध गठबंधन को पहले शक्ति परीक्षण का आदेश दिया जा सकता है तो, वही आदेश फिर से दिया जा सकता है। इस पर पीठ ने कहा कि हम कल देखेंगे।
कांग्रेस-जद (एस) सरकार से समर्थन वापस लेने वाले 2 निर्दलीय विधायकों ने राज्य विधानसभा में जल्द से जल्द शक्ति परीक्षण कराने का निर्देश देने का अनुरोध करते हुए न्यायालय में अर्जी दी थीं। विधायकों ने कहा कि उनके समर्थन वापस लेने और गठबंधन के 16 विधायकों के इस्तीफे के बाद राज्य में राजनीतिक संकट पैदा हो गया है।