जम्मू, जम्मू कश्मीर/नगर संवाददाताः कश्मीर के गुरेज सेक्टर में बर्फीले तूफान में दबे चार और जवानों के शव बरामद हुए हैं। हिमस्खलन में अब तक एक मेजर समेत 15 सैनिक शहीद हो चुके हैं। सैन्य अफसरों ने गुरुवार को बताया कि गुरेज सेक्टर में बुधवार को आर्मी पोस्ट और पेट्रोल पार्टी पर हुए हिमस्खलन के मलबे से दस सैनिकों के शव निकाले गए हैं। वहीं सात सैनिकों को पहले ही सुरक्षित निकाल लिया गया था। सैन्य अफसरों का कहना है कि लापता सैनिकों को बचाने के लिए युद्ध स्तर पर ऑपरेशन जारी है। गुरुवार को भी गुरेज सेक्टर में कई जगह हिमस्खलन हुए, लेकिन किसी के हताहत होने की सूचना नहीं है। इससे पहले सेना की ओर से जारी एक बयान में बताया गया था कि बुधवार और गुरुवार को हुए हिमस्खलन में छह सैनिकों की जान गई है। खराब मौसम और भारी हिमपात के बीच राहत अभियान तुरंत शुरू कर दिया गया था। बुधवार को हिमस्खलन के बाद एक जूनियर कमिशंड ऑफिसर और छह जवानों को बचाया गया था। जबकि तीन सैनिकों के शव गुरुवार सुबह निकाले गए। उधर, बुधवार गुरेज सेक्टर में एक ही परिवार के चार सदस्य भी एक अन्य हिमस्खलन की भेंट चढ़ गए थे। प्रशासन ने नए हिमपात के चलते कश्मीर घाटी में कुछ स्थानों पर हिमस्खलन की चेतावनी जारी की है। इन क्षेत्रों में तीन दिन से रूक रूक कर हिमपात हो रहा है। – बीते साल 10 फरवरी को नॉर्थ ग्लेशियर में एवलांच की चपेट में आने से 19 मद्रास रेजीमेंट के 10 जवान शहीद हो गए थे। – लांस नायक हनुमनथप्पा को कई दिन बर्फ में दबे होने के बाद सुरक्षित निकाला गया था। हालांकि बाद में हॉस्पिटल में उनकी मौत हो गई। जम्मू-कश्मीर में हिमस्खलन के कारण बर्फ से दब कर 10 जवानों की मौत पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गहरा शोक जताया है। ट्वीट कर प्रधानमंत्री ने कहा, हमें जवानों की मौत से गहरा दुख हुआ है। राहत और बचाव कार्य के लिए हमने अधिकारियों को आदेश दिए हैं। रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर ने भी जवानों की मौत को लेकर शोक जताया है। हिमालय के ऊंचे हिस्सों में हिमस्खलन आम बात है, लेकिन ये तब और खतरनाक हो जाते हैं जब ऊंची चोटियों पर ज्यादा बर्फ जम जाती है। बर्फ परत दर परत जमती जाती है और बहुत ज्यादा दबाव बढ़ने से ये परतें खिसक जाती हैं और तेज बहाव के साथ नीचे की ओर बहने लगती हैं। इनके रास्ते में जो कुछ भी आता है उसे अपने साथ ले जाती हैं। हिमालय की गोद में बसे जम्मू कश्मीर, हिमाचल और उत्तराखंड समेत उत्तर पूर्व के इलाकों में वक्त-वक्त पर इस बर्फीली मुसीबत का सामना करना पड़ता है।