तुर्की का एक नगर इस्तम्बुल

इसका पश्चिमी भाग यूरोप के पूर्वी कनारे में और पूर्वी भाग एशिया के पश्चिमी किनारे पर का भाग है। तुर्की को इस्लामी देश देखकर बहुत से लोग यह सोच लेते हैं कि वहां पर स्त्रियां बुर्के में अपने आपको ढके रहती होगीं और पुरुषों के चेहरे पर लम्बी-लम्बी दाढ़ी और ढीले ढाले पायजामे पहने हुए होगें। लेकिन असल में ऐसा नहीं है। यहां पर काफी हद तक यूरोपीय जीवन शैली को ही अपनाया जाता है, क्योंकि यह देश यूरोप में ही माना जाता है। यदि तुर्की जाएं तो बॉस्फोरस देखे बिना तो यात्रा अधूरी रहेगी।

बॉस्फोरस जाते हुए रास्ते में हरे भरे पार्क, आलीशान डोलमाबाहच, चिरागान महल, जो अब ग्रैंड होटल बन गया है आदि के दिलकश नजारे लम्बे समय तक हमारे दिलों-दिमाग पर छाये रहते हैं। डोलमाबाहचे महल जो कि बोस्फोरस के किनारे पर स्थित है, उसका सगमरमर का मुखौटा पानी की लहरों में झिलमिलता हुआ एक अनोखी छटा बिखेरता है। बोस्फोरस का पुल संस्पेंशन ब्रिज विश्व का सबसे बड़ा पुल है। उस ब्रिज को देखकर व्यक्ति स्वयं ही सस्पेंस में पड़ जाता है। बोस्फोरस पुल पार करते करते ही बीलरबेइ महल आता है।
इस महल के पीछे इस्तम्बुल का सबसे ऊंचा शिखर कमलिका पहाड़ी है। दूसरे किनारे पर ‘अर्नुवुदकोय’ में प्रचीन लकड़ी के बने हुए ओटोमन-राज्य काल की विला और सामने ही ‘बेबेक’ के आधुनिक अपार्टमेंट दिखाई देते हैं। कुछ किलोमीटर की दूरी पर ‘रूमेली हिसारी’ और ‘अनादोलू हिसारी’ दुर्ग बने हुए हैं।

इनके बाद ‘फातिह सुल्तान मेहमत’ पुल आता है। ‘दुआतीप हिल’ से बोसफोरस और पुल का नजारा देख सकते हैं। अमीरगान पार्क’ में ट्यूलिप फूल मानों हमारा स्वागत कर रहे हो। इसके एशियाई भाग में ‘कनालिका’ नामक मछली के व्यापारियों का गांव है। यहां रेस्तरा और कैधे की दही प्रसिद्ध है।

तोपकपी महल ओटोमन साम्राज्य का शाही महल था। जो कि पुराने शहर के किनारें पर स्थित है। इस महल में ओटोमन काल की शिल्प-कृतियां, शाही कीमती हीरे जवाहरात, शीशे की वस्तुएं, विश्व का सबसे बड़ा हीरा ‘स्पूनसैलर हीरा,’ प्राचीन काल के चीनी-मिट्टी के नक्काशी किए हुए बर्तन, शाही परिवारों की पोशाकें, लघु चित्र, पैगम्बर मुहम्मद साहब के पवित्र धार्मिक अवशेष, उनकी तलवारे, तीर कमान आदि अनगिनत संग्रहीत चीजे हैं।
तोपकापी महल को 1929 ई. में कमाल अतातुर्क की आज्ञा से संग्रहालय में परिवर्तित कर दिया गया। बोसफोरस के पश्चिमी किनारे पर डोलमाबाहचे महल 600 मीटर तक फैला हुआ है। जिसमें 56 स्तम्भ है और साढ़े चार टन का झाड़फानूस है जिसमें प्रकाश के लिए 750 बत्तियां हैं, 120 फुट की ऊंचाई पर लटकाया हुआ है।

इस महल में 300 कमरे, 6 हमाम, बड़े-बड़े स्वागत कक्ष हैं। यूरोप और सुदूर पूर्व देशों की शिल्प-कृतियों से महल सजा हुआ है। तुर्की्र रिपब्लिक के संस्थापक राष्ट्रपति मुसतफा कमाल अतातुर्क का निधन 1938 को इसी महल में हुआ था। इस महल के किनारे पर बड़े अच्छे-अच्छें रेस्तंरा है जो शीश कबाब और लवाशा आदि के लिए प्रसिद्ध है। यह महल सोमवार और बुहस्पतिवार को बंद रहता है। बेलरबेई महल का निर्माण 19वीं शताब्दी में सुल्तान अब्दुल अजीज ने करवाया था। यह महल बासफोरस के एशियाई किनारे पर स्थित है। गर्मियों में सुल्तान इसी महल में निवास करता था। यह महल भी सोमवार और बृहस्पतिवार के दिन बन्द रहता है।

‘गोक्सू महल’ को ‘कुसुस्कू’ भी कहा जाता है इसे ‘अब्दुल मसीत’ ने 19वीं शताब्दी के मध्य में बनवाया था। इस महल की एनालिक इमारत में जड़े हुए शीशे 1718 ई. में वेनिस की ओर से उपहार के रूप में दिए गए थे। रथों की दौड़ सुल्तानों और दर्शकों के मनोरजंन का एक बड़ा साधन था। ‘सुलेमानी मस्जिद’ गोल्डन हार्न के पश्चिमी तट पर स्थित है। यह शाही मस्जिदों में सबसे सुन्दर है। प्रसिद्ध वास्तु-शिल्पी ‘सिनान’ के अन्तर्गत इसका निर्माण हुआ थ। इसी के साथ ‘सिनान’ की कब्र बनी हुई है। इस इमारत में मदरसा, धर्म तत्व विषय और चिकित्सा के शिक्षण विभाग भी है। सेंटसोफिया संग्रहालय के सामने छः मीनारों की शाही सुल्तान अहमत’ मस्जिद है। इसे नीली मस्जिद भी कहा जाता है। इसका निर्माण 17वीं शताब्दी में किया गया था। इसके इलावा शाही फतीह मस्जिद, एयुप मस्जिद, सोकोलू मेहमद पाशा मस्जिद और मिहरमाह सुल्तान आदि मस्जिदें उल्लेखनीय है। यहां के पुराने शहर में ‘कपाली कार्शी’ है, जिसे ग्रैण्ड बाजार भी कहा जाता है, जो ऊपर से ढका हुआ है। इस बाजार में चार हजार से अधिक दुकानें है। जहां दुकानदारों और ग्राहकों का शोर हमेशा कानों को एक अनोखा सा मजा देता है। इस बाजार में सोने की ज्यूलरी, चीनी के नक्काशकारी किए हुए खुबसूरत बर्तन, विश्व विख्यात कालीन, हीरे, चमड़े की वस्तुएं, तांबे और पीतल के छोटे-बड़े बर्तन आदि सारी जरूरत की चीजें मिल जाती है। इसके इलावा मसालों के लिए मिसिर चर्शिसी और ताबे की वस्तुओं के लिए बर्किजिलर बाजार पर्यटकों के लिए आर्कषन का केन्द्र हैं। इसके इलावा मनोरजंन को ध्यान में रखते हुए ÷तकसीम हरबिए’ क्षेत्र में तुर्की संगीत, बैली डांस, माडर्न-डिस्को, कैब्रे और जाज क्लब आदि है।

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